Book Title: Sramana 2008 07
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 206
________________ हिन्दी अनुवाद :- उस ऐरावत क्षेत्र के मध्य खण्ड में आर्यक्षेत्र में शत्र राजा के लिए दुर्गम देवनगर जैसा मनोहर, तीन भुवन की लक्ष्मी के गृह तुल्य, सहस्र श्रेष्ठिओं से सेवित, यावत्काल प्रतिष्ठा को पाया हुआ नाम से भी 'सुप्रतिष्ठ' ऐसा नगर था। गाहा : उवहसिय-धणय-विहवो उवयार-रओ य सयल-लोयस्स। देव-गुरु-पूयण-रओ वच्छल्ल-यरो य बंघूणं ।।१३७।। दक्खिन्न-दया-कलिओ अग्गाणी सयल-वणिय-सत्थस्स। हरिदत्तो नामेणं इन्भो परिवसइ अह तत्थ ।।१३८।। संस्कृत छाया : उपहसित-धनदवैभव उपकाररतश्च सकलन्लोकस्य । देवगुरूपूजनरतो वात्सल्यपरश्च बन्धूनाम् ।।१३७।। दाक्षिण्य-दयाकलितोऽग्रणीः सकल-वणिग्-सार्थस्य । हरिदत्तो नाम्ना इभ्यः परिवसत्यथ तत्र ।।१३८।। युग्मम् ।। गुजराती अर्थ :- हवे त्यां कुबेरना वैभवने पण उपहास करनार, सकल लोकपर उपकार करवामां रत, देव-गुरूनी पूजामां रत, बन्धुओ परवात्सल्य मां तत्पर, दाक्षिण्य-दया थी शोभतो, सकल व्यापारी-वर्ग नो अग्रणी, हरिदत्त नामनो श्रेष्ठि रहेतो हतो। हिन्दी अनुवाद :- अब वहां कुबेर के वैभव का भी उपहास करने वाला, सकल लोक में उपकाररत, देव-गुरु की उपासना में आसक्त, अन्यों और बन्धुओं के प्रति वात्सल्य में तत्पर, दाक्षिण्य-दया से युक्त, सम्पूर्ण व्यापारी वर्ग का अग्रणी, उस नगर में हरिदत्त नाम का श्रेष्ठी रहता था। गाहा : निज्जिय- रइ-सोहग्गा सीलवई महुर- भासिणी दक्खा। पाणपिया विणयवई भारिया तस्स ।।१३९।। संस्कृत छाया : निर्जितरतिसौभाग्या शीलवती मधुरभाषिणी दक्षा । प्राणप्रिया विनयवती विनयवती भार्या तस्य ।।१३९।। गुजराती अर्थ :- रतिना सौभाग्यने जीतनाटी, शीलवती, मधुरभाषी, चतुर, प्राणथी प्रिय अने विनयवाळी एवी विनयवती नामनी तेने पत्नी हती। हिन्दी अनुवाद :- रति के सौभाग्य को जीतनेवाली, शीलवती, मधुरभाषिका, चतुरा, विनयवाली, प्राण से प्रिय ऐसी विनयवती नाम की उसकी पत्नी थी। 363 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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