Book Title: Sramana 2008 07
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 209
________________ गुजराती अर्थ :- ते वसुमती कन्या पण मेखलावती नगरीमा (अथवा नगरीना) समुद्रदत्तना पुत्र धनपति साथे परणी! हिन्दी अनुवाद :- उस वसुमती कन्या की भी मेखलावती नगरी के समुद्रदत्त के पुत्र धनपति के साथ शादी हुई। गाहा : अह सो धणवइ-वणिओ कलासु कुसलो अणंग-पडिरूवो। समयं तु वसुमईए भुंजइ माणुस्सए भोए ।।१४७।। संस्कृत छाया : अथ स धनपतिवणिजः कलासु कुशलोऽनङ्गप्रतिरूपः। समकं तु वसुमत्या भुनक्ति मानुष्यान् भोगान् ।।१४७।। गुजराती अर्थ :- हवे ते कलाओंमां कुशल, कामदेवना रूप समान धनपति वेपारी वसुमती साथे मनुष्य संबंधी भोगोने भोगवे छे! हिन्दी अनुवाद :- अब वह कलाओं में कुशल कामदेव के रूप समान धनपति वणिक वसुमती के साथ मनुष्य संबंधी भोगों को भोगता है। गाहा : बढ्डत-सिणेहाणं ताणं अन्नोन्न- रत्त-चित्ताणं । नव-जोव्वणाण सरसं विसय-सुहं सेवमाणाणं।।१४८।। गुरु-जण-विणय-रयाणं अवरोप्पर-विरह-दुक्ख-रहियाणं। वच्चंति वासराई आणंदिय-बंधु-वग्गाणं।।१४९।। युग्मम्।। संस्कृत छाया :वर्धमान-स्नेहयोस्तयोरन्योन्यरक्तचित्तयोः । नवयौवनयोः सरसं विषयसुखं सेवमानयोः ।।१४८।। गुरुजन-विनयरतयोः परस्पर-विरहदुःखरहितयोः। व्रजन्ति वासराण्यानन्दित-बन्धुवर्गयोः ।।१४९।। युग्मम्।। गुजराती अर्थ :- वधतां स्नेहवाळा, परस्पर आसक्त चित्तवाळा, नवा यौवनवाळा, रसपूर्वक विषय-सुख ने सेवतां, गुरुजनने विषे विनयमां रागी, परस्पर विरहना दुःख थी रहित, बन्धुवनने आनन्द आपनार ते बन्नेना दिवसो जता हता। हिन्दी अनुवाद :- बढ़ते स्नेह वाले, परस्पर आसक्त चित्तवाले, नतन यौवनवाले रस से विषय को सेवन करने वाले, गुरुजन पर विनयवाले, परस्पर विरह के दु:ख से रहित बन्धुवर्ग को आनंद कर ने वाले दोनों के दिन व्यतीत हो रहे थे। गाहा : अह अन्नया कयाइवि पवरे हम्मिय-तलम्मि पासुत्तो । घणवइ-वणिओ तीए वसुमइ-दइयाए संजुत्तो ।। १५०।। 366 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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