Book Title: Sramana 2008 07
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 200
________________ हिन्दी अनुवाद :पिताजी उन विद्याधर कुमारों के रूप, कला एवं ऋद्धि का वर्णन करते थे। किन्तु मेरा दिल किसी में नहीं लगने से सभी को लौटा दिए थे। गाहा : जो जो आवइ वरओ तं तं नेच्छामि जावय अहं तु । ताहे य असणिवेगो मज्झ पिया सोयमावन्नो ।। ११७ ।। संस्कृत छाया : यो यो आयाति वरस्तं तं नेच्छामि यावत् चाहन्तु । तदा चाऽशनिवेगो मे पिता शोकमापन्नः ||११७ ।। गुजराती अर्थ जेटला जेटला वर आवता ते ते बधा ने हुं इच्छती न हती तेथी मारा पिता अशनिवेग शोकातुर थया ! हिन्दी अनुवाद :- जो भी पुरुष विवाह के लिए आते थे वे मुझे पसंद नहीं आते थे, अतः मेरे पिताजी (अशनिवेग) शोकग्रस्त हो गये । गाहा : : दट्ठूण तं ससोगं चंपगमाला उ भाइ निय-दइयं । कीस ससोगो सामिय! दीससि चिंताउरो धणियं ? ।। ११८ ।। संस्कृत छाया : दृष्टवा तं सशोकं चम्पकमाला तु भणति निजदयितम् । कस्मात् सशोकः स्वामिन् ! दृश्यसे चिन्तातुरो गाढम् । ।११८।। गुजराती अर्थ :- चम्पकमाला पोतानापतिने शोक सहित जोईने कहे छे हे ! स्वामिन् ! आप कया कारणथी अत्यन्त शोकयुक्त अने चिन्तातुर देखाव छो? हिन्दी अनुवाद :- चम्पकमाला अपने स्वामी को शोकयुक्त देखकर कहती है, हे स्वामिन्! आप किस हेतु अत्यंत शोक सहित एवं चिंतायुक्त दिखाई दे रहे हैं ? गाहा : तत्तो य तेण भणियं मह धूया ताव जोव्वणं पत्ता । न य इच्छइ किंपि वरं सुंदरि ! गरुई इमा चिंता । । ११९ । । संस्कृत छाया : ततश्च तेन भणित मे दुहिता तावद् - यौवनं प्राप्ता । न चेच्छति कमपि वरं सुन्दरि ! गुर्वीयं चिन्ता । । ११९ ।। गुजराती अर्थ :- व्यारे तेणे कहयुं हे सुन्दरि मारी पुत्री हवे यौवन ने पामी छे। अने ते एके वर ने पसंद करती नथी ए ज मोंटी चिन्ता छे! हिन्दी अनुवाद तब उसने कहा - मेरी पुत्री अब यौवन को प्राप्त हुई है और वह एक भी पुरुष पसंद नहीं करती है, अतः हे सुन्दरी ! यही मेरी बड़ी चिन्ता है । Jain Education International 357 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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