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गुजराती अर्थ :- युवतिजनने योग्य नाट्यादि बधी कलाओ क्रमथी में शीखी लीधी, अने त्यार पछी हुं प्रथम यौवन पामी ।
हिन्दी अनुवाद :- युवतियों के योग्य नाट्यादि सभी कलाएँ क्रम से मैने सीख ली। तत्पश्चात् मैं प्रथम यौवन में आयी ।
गाहा :
सुसिद्धि-सही-सहिया रमामि विविहासु तत्थ कीलासु । वर-चित्त- पत्त- छिज्जय-नच्चण- गंधव्व- वीणासु ।। ११४।। संस्कृत छाया :
सुस्निग्ध-सखीसहिता रमे विविधाषु तत्र क्रीडासु । वरचित्र पत्र- छेद्यक- नर्तन- गान्धर्व - वीणासु
।।११४।।
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गुजराती अर्थ ते यौवन दरम्यान गाढ स्नेहवाळी सखीओनी साथे उत्तम चित्र, पत्र छेद्य, नर्तन, गांधर्वविद्या अने वीणावादनादि विविध क्रीडाओ करती हती।
हिन्दी अनुवाद :- उस यौवन में स्नेहान्वित सखिओं के साथ उत्तम चित्र, पत्रछेद्य, नर्तन, गान्धर्वविद्या और वीणा वादन आदि अनेक क्रीड़ाएँ करती थी।
गाहा :
तत्थ य पिययम ! अहयं सहावओ पुरिस- वेसिणी जाया । वरया य मज्झ बहवे इंति तहिं खयर - पवराण ।। ११ संस्कृत छाया :
तत्र च प्रियतम ! अहं स्वभावतः पुरुषद्वेषिणी जाता ।
वरकाश्च मे बह्व आयन्ति तत्र खेचरप्रवराणाम् ।।११५ । । गुजराती अर्थ :- अने हे प्रियतम ! हुँ स्वभावथी ज पुरुषद्वेषिणी थई । मने वरवा माटे घणा श्रेष्ठ विद्याधरो आववा लाग्या !
हिन्दी अनुवाद :- तथा हे प्रियतम! मैं स्वभाव से ही पुरुषद्वेषिणी बनी। मेरे साथ विवाह करने बहुत सारे श्रेष्ठ विद्याधर आने लगे।
गाहा :
वर - रूव - कला - रिद्धीओ तेसिं, जणओवि मज्झ साहेइ ।
न य कत्थवि मह इच्छा जायइ तो ते निवारेइ ।। ११६।। संस्कृत छाया :
वररूपकलार्द्धयस्तेषां
जनकोऽपि मे
वदति ।
न च कुत्रापि मम इच्छा जायते ततस्तान् निवारयति । ।११६ ॥ गुजराती अर्थ :- पिताजी पण मारी पासे तेओनी रूप कला ऋद्धिनुं वर्णन करता हता, पण मारू मन कोईना विषे पण न लाग्यु, तेथी तेओने
पाछा वाळया !
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