Book Title: Sramana 2008 07
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 193
________________ गाहा : एवं च मए भणिया कहवि हु उज्झित्तु सज्झस बाला । मणयं खलंत - वयणा अह एवं भणिउमाढत्ता ।। ९३ ।। संस्कृत छाया : एवं च मया भणिता कथमपि खलूज्झित्वा साध्वसं बाला । मनाक् स्खलद् वचनाथैवं भणितुमारब्धा ।। ९३ ।। गुजराती अर्थ :- आ प्रमाणे मारा कहेवाथी बालाए केमे करी ने भय ने छोडी ने जरा लथडता वचन द्वारा आ प्रमाणे कहेवा माटे आरंभ कर्यो । हिन्दी अनुवाद :- इस प्रकार मेरे कहने पर प्रयत्नपूर्वक भय को छोड़कर उस बाला ने जरा अस्पष्ट वचन द्वारा इस प्रकार कहना आरंभ किया। गाहा :- युवति वृत्तांत आयन्नसु मण-वल्लह ! कहेमि सव्वंपि जं तुमे पुट्ठे । तुम्ह सुपसिद्धमेव हि नयरं सुरनंदणं ताव ।। ९४ ।। संस्कृत छाया : आकर्णय हे! मनोवल्लभ ! कथयामि सर्वमपि यत् त्वया पृष्टम् । सुप्रसिद्धमेव हि नगरं सुरनन्दनं तावद् ।।९४।। गुजराती अर्थ :- हे मनोवल्लभ ! तमे जे पूछयुं ते बधु ज हुँ तमने कहुँ छु, ते सांभळी सुरनन्दन नाम नुं सुप्रसिद्ध नगर छे । हिन्दी अनुवाद :- हे! मनोवल्लभ ! आप ने जो कुछ पूछा, वह सभी मैं कहती हूँ, आप- सुनिए। सुरनन्दन नाम का सुप्रसिद्ध नगर है। गाहा : तत्थासि सुविक्खाओ पहंजणो नाम खयर- रायत्ति । तस्स य पवरो मंती अइकुसलो नीइ - सत्थेसु ।। ९५ ।। पहुणो य दढं भत्तो बुद्धीए चउव्विहाए संपन्नो । रनो विस्सास - पयं आसि पुरा मेहनाउत्ति ।। ९६ । । युग्मम् । संस्कृत छाया : तत्राऽऽसीत् सुविख्यातः प्रभञ्जनो नाम खेचरराजेति । तस्य च प्रवरो मन्त्री अतिकुशलो नीतिशास्त्रेषु ।। ९५ । । प्रभोश्च दृढं भक्तो बुद्धया चतुर्विधया सम्पन्नः । राज्ञो विश्वासपदमासीत् पुरा मेघनाद इति ||१६|| युग्मम् ।। गुजराती अर्थ :- ते नगरमां सारी रीते प्रसिद्धि पामेलो प्रभंजन नाम नो विद्याधरोनो राजा छे तेने नीतिशास्त्र मां अतिकुशल, प्रभु नो परम Jain Education International 350 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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