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गोहा :
अह सा चंपगमाला वरिया सुरनंदणम्मि नयरम्मि । मंति- सुय- असणिवेगस्स, सायरं तेण परिणीया ।। १०३ । । संस्कृत छाया :
अथ सा चम्पकमाला वृत्ता सुरनन्दने नगरे । मन्त्रिसुताऽशनिवेगस्य सादरं तेन परिणीता ।। १०३ ।। गुजराती अर्थ
अशनिवेगने वरी अने ते पण आदरपूर्वक परण्यो ।
हिन्दी अनुवाद :- उस चम्पकमाला का विवाह सुरनन्दन नगर के मन्त्रीपुत्र अशनिवेग के साथ आदर सहित हुआ।
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हवे ते चम्पकमाला सुरनन्दन नगरमा मन्त्री पुत्र
गाहा :
नया नियए नयरे सह तीए सो विसाल नयणाए । पर पीईए जुत्तो भुंजइ माणुस्सए भोगे । । १०४ । । संस्कृत छाया :
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नीता निजके नगरे सह तया स विशालनयनया पराप्रीत्या युक्तो भुनक्ति मानुष्यान् भोगान्
।।१०४।।
गुजराती अर्थ :- पछी पोताना नगरमा लई जवाइ अने विशालनयनवाळी तेणीनी साथै श्रेष्ठ प्रीति थी युक्त ने (अशनिवेग) मनुष्यसंबंधी भोगोने भोगवतो हतो!
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हिन्दी अनुवाद :- बाद में अपने नगर में ले आने पर उसने विशालनयना चम्पकमाला के साथ श्रेष्ठ प्रीति से मनुष्य संबंधी विषयों का सेवन किया।
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गाहा :
अह अन्नया कयाइवि मंति पयं देवि असणिवेगस्स । नियय-तणयस्स तत्तो विरत - चित्तो महा- सत्तो ।।१०५ । । रन्ना पहंजणेणं सहिओ संजाय गरुय - संवेगो ।
सुगुरूण पाय- मूले पव्वइओ मेहनाओ सो । । १०६ ।। युग्मम्।। संस्कृत छाया :
अथान्यदा कदाचिदपि मन्त्रिपदं दत्त्वाऽशनिवेगाय ।
निजक- तनयाय ततो विरक्तचित्तो महासत्त्वः ||१०५ ।। राज्ञा प्रभञ्जनेन सहितः सञ्जातगुरूकसंवेगः ।
सुरूणां पादमूले प्रव्रजितो मेघनादः सः ||१०६ | | युग्मम् || गुजराती अर्थ:- हवे एक वखत पोताना पुत्र अशनिवेगने मंत्रीपद आपी ने विरक्त चित्तवालो, महासात्विक, उत्पन्न थयेला अतिशुद्ध संवेगवाळा मेघनादे प्रभंजनराजा साथै सद्गुरुना चरणोमां दीक्षा ग्रहण करी !
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