Book Title: Sramana 2008 07
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 166
________________ थयो एटले, घणा दासीजन थी परिवरेली सैंकड़ो श्रेष्ठ मंगलो वड़े गवाती, विविध प्रकारे वागता बाजींत्र ना समुदाय नी साथे, पोताना सखीजनो सहित उत्तम शिबिका मां आरूढ थयेली, आच्छादित मांगलिक उपचारवाळी, श्वेत आभूषणों थी अलंकृत देहवाळी, श्वेतवस्त्रो वड़े आच्छादित शरीरवाळी, सुगंधित पुष्पो थी बांधेला अंबोडावाळी, कनकमाला मदनगृह ना द्वार पासे आवी। हिन्दी अनुवाद :- इस प्रकार प्रार्थना करने के बाद हम दोनों कामदेव के मंदिर के पीछे छुप गये, एक प्रहर से अधिक रात्रि का समय व्यतीत होने पर बहुत दासीजन से युक्त, सैकड़ों श्रेष्ठ मंगल शब्दों द्वारा गाये गये, अनेक प्रकार के बजते बाजिंत्र के समुदाय के साथ अपने सखीजनों से आवृत्त, श्रेष्ठ शिविका में बैठी हुई, मांगलिक उपचारवाली, श्वेत आभूषण से अलंकृत देहवाली, श्वेत वस्त्रों द्वारा ढंके देहवाली, सुगंधित पुष्पों से की हुई वेणीवाली (सुशोभित), कनकमाला मदनमंदिर के द्वार के पास आई! गाहा : उत्तिन्ना सिवियाओ पूयण-उवगरणयं गहेऊणं । धरिऊण दार-देसे सयलं निय-परियणं ताहे ।।९।। एगागिणी पविट्ठा मयरद्धय-बिंब- पूयण-निमित्तं । पविसित्तु भवण- दारं अग्गलियं ताए बालाए।।१०।। युग्मम्।। संस्कृत छाया : उत्तीर्णा शिबिकातः पूजनोपकरणकं गृहीत्वाः । धृत्वा द्वारदेशे सकलं निज-परिजनं तदा ।।९|| एकाकिनी प्रविष्टा मकरध्वज-बिम्ब-पूजन-निमित्तम् । प्रविश्य भवनद्वार-मर्गलितं तया बालया ।।१०।। युग्मम्।। गुजराती अर्थ :- शिबिकामांथी उतरेली पूजानी सामग्रीने ग्रहण कीने पोताना संपूर्ण दासीजनने दरवाजा पासे उभा राखीने कामदेवना बिम्ब नी पूजा माटे एकलीए प्रवेश कर्यो। अने प्रवेश करीने ते बालाट भवन ना द्वार बंध करी दीधा। हिन्दी अनुवाद :- शिविका से उतरी हुई और पूजा की सामग्री को लेकर, अपने संपूर्ण दासीजन को द्वार के पास खड़ी करके कामदेव की पूजा के लिए अकेली ही मंदिर में गई तथा मंदिर में जाकर कनकमाला ने मंदिर के द्वार अंदर से बंद कर दिया! गाहा : संपूइऊण कामं अह सा निवडेवि तस्स चलणेस । दीहं नीससिऊणं गलंत-थूलंसु-नयणिल्ला ।।११।। 323 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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