Book Title: Shrutsagar 2015 05 06 Volume 01 12 13
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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श्रुतसागर
16
मे-जून-२०१५ कृतवर्मराजा तणु जात, श्यामाकु नंदन, सकलजंतुप्रतिपाल सार, चर्चितहरिचंदन, श्रीविशालसोमसूरि दिन प्रति ए संभारइ (नि)ति, तेरसमा जिन ताहरी साची जगमाहिं ख्याति ॥१॥
॥ इति नमस्कारः॥ विमल विमलदेहा, बोधिबीजे सुमेहा, मुगतिरमणिनेहा, सुखमइ जे अनेहा, श्रीविशालसोमसूरि-जीहा, ते (स्म)रइ राति-दीहा, मन पूरइ ईहा, जे करइ दुख छेहा ॥१३॥
॥ इति विमलनाथस्तुतिः ।। गणअनंत जिन अनंत नामि, चऊदसम स्वामी, पामीजइ जस सेवथी, जे मनमांहिं कामी, सिंहसेननृपवंशभाण, सुयशा जस माता, भवजलधिमां पडत जंतु, तेहनु जे त्राता, सुरनर जस सेवा करइ ए सोवनवन्न शरीर, श्रीविशालसोमसूरीसरू, जस पद पादप कीर ॥१॥
॥ इति नमस्कारः॥ श्रीअनंत जिनेसर सुंदरू, जे केवलन्यान दिवाकरू, श्रीविशालसोमसूरि सुखकरू, वंदीजइ मुगतिरमणिवरू॥१४॥
॥ इति अनंतनाथस्तुतिः॥ धर्मरूप श्रीधर्मनाथ साथ, जे सुभगति केरू, तारणतरणतरंड देव, ए सम नहीं अनेरू, भानुरायकुलि गयणचंद, सुव्रतासुत स्वामी, भूला कां भमु भव्य लोक, ए ठाकुर पामी, श्रीविशालसोमसूरिंद गुरू, जस पयकमलई भंग, पनरसमां जिणंदपय, होयो मुझ मन संग ॥१॥
॥ इति नमस्कारः ।।
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