Book Title: Shrutsagar 2015 05 06 Volume 01 12 13
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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SHRUTSAGAR
MAY-JUNE-2015 अहिपति-पटराणी, विश्वविख्यात जाणी, बह महिमा खांणी, सर्व शास्त्रे वखाणी, श्रीविशालसोम गणधारी, संघनइ सुखकारी, भजु तुझे नर-नारी पद्मावती पापवारी ।।४।।
राणिकपुरि रलीआमणु रे लाल-ए देशी॥ पास जिणंद जुहारीइ रे लाल, सिवसुखदायक देव प्रभु सेवु रे। अचिंत्य चिंतामणि सुरतरू रे, भवभयभंजण देव ॥१॥(आंकणी)
पास जिणंद जुहारीइ... सपत फणामणि शोभतु रे लाल, निल्लुपलसम कंति, प्रभु... सेवुरे,
....... ॥२॥
___ पास जिणंद जुहारीइ... मस्तकि मुकट बनिउ भलउ रे, विचि विचि सोहइ लाल, प्रभु सेवुरे, काने कुंडल झलहलइरे, फिरिती मुगताफल माल ॥३॥
पास जिणंद जुहारीइ... बाजूबंधनई बि(ब)हिरखा रे लाल, हाथे कडली जोडि, प्रभु सेवुरे, पलांठी सोवन तणी रे लाल, जीपइ सूरय कोडि ॥४॥
पास जिणंद जुहारीइ... तरणतारण प्रबु मुझ मिलिउरे लाल, मनमोहन प्रभु पास, प्रभु सेवुरे, श्रीविशालसोमसूरि जस नमइ रे, कवि संघसोम पुरू आस ॥५॥
पास जिणंद जुहारीइ... ॥ इति श्रीपार्श्वनाथस्तवनम् ।। त्रिशलानंदन गुणनिधान, सिद्धारथनृपसुत, भवभंजन भगवंत संत, सेवु समरसयुत, धीर वीर गंभीर सार, प्रबु सम नहीं जगति परिं, सुर दीधु वर नाम ठामि, महावीर सुपरिकरि,
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