Book Title: Shrutsagar 2015 05 06 Volume 01 12 13
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 73
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 71 SHRUTSAGAR MAY-JUNE-2015 भारतीय प्राचीनकला-साहित्य एवं संस्कृति को सुरक्षित रखने और इसकी निरन्तरता को बनाए रखने में जैन तीर्थक्षेत्रों, मन्दिरों, साधु-साध्वियों, विद्वानों, गुरुकुल, शिक्षण संस्थानों तथा व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर किये गये प्रयत्नों तथा स्वाध्याय, प्रवचन, शास्त्र-सभाओं, शास्त्र-भण्डारों आदि की अहम भूमिका रही है। किन्तु इन प्रयत्नों के उपरान्त भी ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व की बहुतसी अमूल्य धरोहर उचित संरक्षण एवं रख-रखाव के अभाव में यत्र-तत्र बिखरी हुई है। हमारी महत्त्वपूर्ण मूर्तियाँ, दुर्लभ ग्रन्थ व कलात्मक-सामग्री उचित एवं वैज्ञानिक संरक्षण के अभाव में नष्ट हो रही है। ऐसे समय में हमारा कर्तव्य है कि हमारी कला एवं संस्कृति की अमूल्य धरोहरस्वरूप विरासत को सुरक्षित एवं संरक्षित करके भावी पीढी को हस्तान्तरित कर अपने पूर्वजों की परम्परा को बचाए रखें और पितृ-ऋण से ऊर्ण हों। आज से लगभग दोसौ वर्ष पूर्व महाराजा सयाजीराव तृतीय के समय बडोदरा स्थित ग्रन्थागार में पाण्डुलिपियों को रखने हेतु अलमारियों का अभाव था तब महाराजा ने कहा था कि 'आभूषणों को रखने हेतु जो अलमारियाँ राजदरबार में हैं उन्हें खाली करके उनका उपयोग मूल्यवान हस्तप्रतों को सुरक्षित रखने हेतु किया जाये। हमारे पूर्वजों, ग्रंथकर्ता, लहिया, ग्रंथ प्रेरक, संरक्षक आदि की आत्मा आज भी उनके द्वारा लिखित ग्रन्थों में अटकी हुई है, उनकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति तभी हो सकती है जब हम उनके हस्तलिखित ग्रन्थों को सम्पूर्ण सुरक्षा प्रदान करें और उनका प्रकाशन एवं संपादन कर समाज के समक्ष प्रस्तुत करें। धन्यवाद। संदर्भ ग्रन्थ १. भारतीय प्राचीन लिपिमाला, संपा. गौरीशंकर हीराचंद ओझा। २. लिपि विकास, लेखक-राममूर्ति मेहरोता एम.ए.। ३. मध्यकालीन नागरी लिपिनो परिचय, लेखक-श्री लक्ष्मणभाई भोजक। ४. भारतीय पुरालिपि शास्त्र, लेखक-जार्ज ब्यूलर। ' ५. भारतीय जैन श्रमण संस्कृति अने लेखन कला, लेखक-मुनिश्री पुण्यविजयजी म.सा. । ६. प्राचीन नागरी लिपि : एक अध्ययन, (श्रुतसागर में प्रकाशित लेख), लेखक-डॉ. उत्तमसिंह For Private and Personal Use Only

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