Book Title: Shrutsagar 2015 05 06 Volume 01 12 13
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 81
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 79 SHRUTSAGAR MAY-JUNE-2015 दशाश्रुतस्कन्ध के आठवें अध्ययन का नाम कल्प है जो कल्पसूत्र के नाम से प्रसिद्ध है. दशाश्रुतस्कन्ध की नियुक्ति के अन्तर्गत कल्प अध्ययन की नियुक्ति गाथाओं को कल्पनियुक्ति के नाम से जाना जाता है. श्री माणिक्यशेखरसूरि द्वारा रचित अवचूरि अद्यावधि अप्रकाशित थी, जिसे प्रकाश में लाने का कार्य पूज्य मुनि श्री वैराग्यरतिविजयजी म. सा. ने किया है. श्री माणिक्यशेखरसूरि अंचलगच्छीय आचार्य श्री महेन्द्रप्रभसूरिजी के शिष्य आचार्य श्री मेरुतुंगसूरिजी के शिष्य हैं. इन्होंने अनेक आगमों की टीकाओं की रचना की है. ___ कल्पसूत्र एक छेद ग्रन्थ है. परम्परा में वर्णित अधिकृत महात्मा ही इसके पठन के अधिकारी हैं. पाठक वर्ग इस मर्यादा को ध्यान में रखते हुए ही इस शास्त्र में प्रवेश करें. यह ग्रन्थ पर्युषणकल्प के आचार सम्बन्धी सूत्रों का विवरण प्रस्तुत करती है. वर्षावास में पूज्य साधु-साध्वीजी भगवन्तों के लिए बहुत ही उपयोगी ग्रन्थ सिद्ध होगा. उपरोक्त ग्रन्थों के संक्षिप्त परिचय प्रस्तुतिकरण के पश्चात आप इस बात से तो अवश्य ही सहमत होंगे कि श्रुतभवन संशोधन केन्द्र, पुणे द्वारा प्रारम्भ की गई प्रवृत्ति कितनी गुणवत्ता के साथ श्रुत सेवा एवं संघ सेवा में अग्रसर है. परम पूज्य श्री वैराग्यरतिविजयजी गणिवर्य के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में यह संस्था बहुत ही सुन्दर अनुमोदनीय एवं प्रसंशनीय कार्य कर रही है. संघ, विद्वद्वर्ग तथा जिज्ञासु इसी प्रकार के और भी उत्तम प्रकाशनों की प्रतीक्षा में हैं. सर्जनयात्रा जारी रहे ऐसी अपेक्षा है. पूज्य गणिश्रीजी के इस कार्य की सादर अनुमोदना के साथ कोटिशः वंदन For Private and Personal Use Only

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