Book Title: Shrutsagar 2015 05 06 Volume 01 12 13
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 78
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुस्तक समीक्षा डॉ. हेमन्तकुमार परम पूज्य श्री वैराग्यरतिविजयजी गणिवर्य के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में संचालित श्रुतभवन संशोधन केन्द्र, पुणे द्वारा प्राचीन विशेषकर अप्रकाशित कृतियों के पाठ को संशोधित कर एवं महत्त्वपूर्ण गूढार्थी कृतियों का आधुनिक भारतीय भाषाओं में अनुदित करवाकर सामान्य जिज्ञासुओं हेतु सुलभ बनाकर प्रकाशित करने का कार्य किया जा रहा है जो बहुत ही अनुमोदनीय एवं प्रशंसनीय है. हाल ही में वहाँ से ९ पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, शुद्ध एवं सुस्पष्ट छपाई, प्रकृति के पाँच मूल तत्त्वों को दर्शाता आकर्षक आवरण, टिकाऊ बान्डिंग आदि इन प्रकाशनों की विशेषता है. ये प्रकाशन निम्नलिखित हैं. १. सर्वसिद्धान्त स्तवः २. भवभावना प्रकरणम् ३. व्याप्तिपंचकम् ४. योगकल्पलता ५. प्रशमरति प्रकरणम् ६.स्याद्वादपुष्पकलिका ७. मुक्तिवाद ८. मनःस्थिरीकरणप्रकरणम् ९. कल्पनियुक्ति. सर्वसिद्धान्त स्तव- इस प्रकाशन के अन्तर्गत आचार्य श्री जिनप्रभसूरिजी द्वारा विरचित सर्वसिद्धान्त स्तव एवं पं. सोमदेवगणि द्वारा रचित अवचूरि है. इस कृति में ४५ आगमों की स्तुति की गई है. अनेक हस्तप्रतों के आधार पर पाठ का निर्धारण किया गया है. पूज्य मुनि श्री वैराग्यरतिविजयजी म. सा. एवं श्री अमितकुमार उपाध्ये ने बहुत ही श्रम पूर्वक पाठ का संशोधन तो किया ही है साथ ही प्रकाशन के प्रारंभ में कृति का हिन्दी सारांश एवं परिशिष्ट में अनेक उपयोगी सूचनाओं का संकलन कर प्रकाशन को अति महत्त्वपूर्ण बना दिया है. भवभावना प्रकरण- इस प्रकाशन के अन्तर्गत मलधारी आचार्य श्री हेमचन्द्रसूरिजी द्वारा विरचित भवभावना प्रकरण एवं अज्ञात जैनश्रमण द्वारा रचित अवचूरि है. अवचूरि अद्यावधि अप्रकाशित थी जिसे पूज्य मुनि श्री वैराग्यरतिविजयजी म. सा. ने अनेक आधार ग्रंथों के सहारे बड़े ही कुशलता पूर्वक संपादन-संशोधन कर For Private and Personal Use Only

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