Book Title: Shrutsagar 2015 05 06 Volume 01 12 13
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 65
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra SHRUTSAGAR 63 सूचक चिह्न के रूप में भी प्रयुक्त होता है। यथा क्क m. इसी प्रकार जब 'प' वर्ण के साथ 'भ' वर्ण जुड़ता है तो उसे 'ब्भ' पढा जाता है । तथा मूर्धन्य 'ष' के साथ जब 'भ' वर्ण जुड़ता है तो 'ज्झ' पढा जाता है। यथा 蹰 ट ऐसे और भी कई वर्ण हैं जो संयुक्त होने पर अपना स्वरूप बदल लेते हैं और संपादक को भ्रमित करते हैं । अतः ऐसे वर्णों तथा समानता के कारण भ्रमित करनेवाले अक्षरों की तालिका यहाँ संलग्न की जा रही है : व च्छ्य श्र व च्छ - ख त्य = a स्थ = स्ब ॥ छ ॥ (पूरक या समातिसूचक चिह्न) धा ARR Loo प् + भ् = ब्भ = प्+भू= न ष् + भ् = ज्झ = षू+नू = न द्व द न्ह ☆ कल बूझ, भ स्क य रु ध्य મુ पण म EFT EL REFE 9a, a त्य ट न्द स www.kobatirth.org श्ल स्थ स्व ब- व र्य दय टाट्य घटी ! FOR ME F श्न त्स त्क त्व घ न च क o mp it ग्य च त ब ग्य ज्झ च एघ ट एप स त्य ज्य ख यल य ट ठ कक्क 5 For Private and Personal Use Only 3 ICES च ण्ण Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir الداي اعلى MAY-JUNE-2015 ॐ भ्य 5 E [FC 16 M LY ITC E F घ न्त 事 क द्र त फ्री 1 d「 13| ས 13 त स्थ म, त म प एँ

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