Book Title: Shrutsagar 2015 05 06 Volume 01 12 13
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
39
SHRUTSAGAR
MAY-JUNE-2015 रथिकने सोंपे छे अने कोशा एने स्थूलिभद्रना अप्रतिम कामविजयनुं भान करावे छे, दुष्काळ पडता संघनी आज्ञाथी स्थूलिभद्र भद्रबाहु पासेथी वाचनाओ मेळवे छे अने बहेनोने सिंहरूप देखाडवानो दोषयुक्त आचार ए करी बेसे छे - केटलो बधो अवांतर कथारस स्थूलिभद्रना समग्र वृत्तान्तमा रहेलो छे! परंतु आ तो रासने योग्य वस्तु छे, एने फागुना मर्यादित पात्रमा केवी रीते समावी शकाय? छता मालदेवे पोताना फागुमां आ प्रयत्न कर्यो छे. आवो प्रयत्न निष्फळताने वरे तो एमां कई नवाई नथी. मालदेवे १०७ कडी सुधी काव्य विस्तार्यु होवा छता एमां क्यांय कथारस जामतो नथी, प्रसंगोनो केवळ उल्लेख करीने एमने चालवू पडे छे, अधूरी विगतोने कारणे प्रसंगो ऊभडक अने अस्पष्ट लागे छे* अने स्थूलिभद्रनी कथाथी जे परिचित होय तेओ ज आमांथी कथानो बधो तंतु पकडी शके एतु बन्यु छे. __ एक दृष्टांतथी कविनी प्रसंगनिरूपणनी शैलीनो ख्याल आवी जशे राजाना अविश्वसथी कुटुंबनो विनाश थशे एवी आशंकाथी शकटाल पोताना पुत्र श्रीयकने (श्रीयक राजानो अंगरक्षक हतो) राजानी सामे ज पोतानी हत्या करी, राजानी प्रीति मेळववा अने कुटुंबने बचावी लेवा समजावे छे. श्रीयकने पितृहत्यानुं पातक न लागे माटे शकटाल झेर लईने राजदरबारमा जाय छे. त्यां श्रीयक एनी हत्या करे छे. मालदेव आ प्रसंगने शकटालनी 'युक्ति'नो मोघम उल्लेख करी श्रीयकना कार्य विषे गेरसमज थाय एवी रीते संक्षेपथी पतावी दे छे.
पोताना कुलने बचाववा मंत्रीए एक युक्ति करी, ए राजसभामां आव्या त्यारे श्रीयके एमनी हत्या करी
प्रसंगोने काव्यमां लेवा, अने एमने योग्य न्याय आपवो नहि एनुं परिणाम शु आवे? काव्य निरर्थकतामां अने निःसारतामां अटवाई जाय.
छता मालदेव- काव्य साव निःसार छे एवं नथी. कोशाने घरे स्थूलिभद्रनुं आगमन थाय छे ए भागमां आ कृति काव्यसौन्दर्य धारण करती देखाय छे. वर्षानुं अने कोशाना सौन्दर्य- वर्णन कवि जरा निरांतथी करे छे अने कोशाना उत्कट अनुरागने व्यक्त करवानी थोडी तक पण ले छे. पण आथी तो काव्यना बाकीना कथनात्मक १. कूल राखणकुं आपणु, मंत्री मंत्र उपायो रे,
शरीइ मंत्री मारीउ, राजसभा जव आयो रे. १८ * कवि मालदेवना काव्य विषयक श्रीजयंतभाई आलेखेला निरीक्षणोना मुद्दाओने अन्य रीते पण जोई शकाय छे. छतां लेख घणी रीते उपयोगी होई अले लीधो छे. - संपा.
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84