Book Title: Shrutsagar 2015 05 06 Volume 01 12 13
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 48
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 46 श्रुतसागर मे-जून-२०१५ एना कर्णयुगल ते जाणे मदनना हिंडोळा, एना ऊरु ते जाणे मदनराजना विजयस्तंभ, एना नखपल्लव ते जाणे कामदेवना अंकुश! आ अलंकारोनो एक ठेकाणे खडकलो नहि करता आखा वर्णनमा वेरी दईने कविए एकविधतानो के कृत्रिमतानो भास थवा दीधो नथी. स्थूलिभद्र-कोशाना मिलननो प्रसंग नाट्योचित छे. आ कविनी नजरे ए नाट्योचितताने कंईक पारखी छे. कोशा-स्थूलभद्रना ढूंका पण अत्यंत मार्मिक संवाद द्वारा एमणे राग विरागनी आछी अथडामण रजू करी छे. एक बाजु प्रेम घेली विदग्ध नारी छे, बीजी बाजु छे संयमधर्मी, पण कोशानी साथे विवादमां ऊतरवा तत्पर मुनिवर. आ नाट्यात्मक रजूआतने कारणे कोशानुं चरित्र आपणी कल्पनामां मूर्त आकार ले एवं बनी जाय छे, तो स्थूलिभद्रमां पण कंईक सजीवता लागे छे. पहेला कोशा पोतानी कामार्तिने प्रगट करे छे 'हे नाथ! सूर्य समान तमारो देह मारा देहने सतावे छे' अने पूर्वमेहनी याद आपी स्थूलिभद्रने उपालंभ आपे छे. 'बार वर्षनो नेह तमे शा कारणे छोडी दीघो? आq निष्ठरपणुं मारी साथे केम आचर्यु?' स्थूलिभद्र ज्यारे कहे छे के, लोढे घड्यु मारुं हैयु तारा वचनोथी भीजाशे नहि (लोढे घडेलुं पण हैयु तो छे!), त्यारे कोशा पोतानी दुःखित दशा आगळ करीने दीनभावे अनुरागनी याचना करे छे. पण स्थूलिभद्र तो निश्चल रहे छे. एमनु चित्त तो, ए पोते कहे छे तेम संयमश्री साथे भोग रमवामां लागेलुं छे. आ छेल्ली वात सांभळी कोशा प्रत्युत्पन्न मतिथी एक तीक्ष्ण व्यंग करे छे. 'अहो, लोको नवी नवी वस्तुमां राचे छे एम कहेवाय छे ते साचं ठर्यु जुओने, तमारा जेवा मुनिवर पण मने मूकीने संयमश्रीमां आसक्त थई गया!' ___ मुनिवरना जरूपकने कोशाए मुनिवर प्रत्ये ज केवी चतुराईथी फेंक्यु! पछी पण कोशा जे प्रलोभन आपे छे एमां पण एनी चतुराई देखाई आवे छे ए कहे छे. पहेला यौवनना फळ रूप उपभोगनो आनंद भोगवी लो, पछी सुखेथी संयमश्री साथेनुं सुख माणजो, एनो अवसर तो यौवन गया पछी पण रहेशे ने!' कोशानुं व्यक्तित्व के, प्राणवान छे! कवि वाणीनी सूक्ष्म शक्तिना ज्ञाता छे एम आपणे आरंभमां का हतु. निराभरण के आलंकरिक वर्णनोमां, नादव्यंजनामां के भावव्यंजनामां कविनी वाणी केवी सरळताथी अने समर्थताथी प्रवर्ते छे ते हवे प्रतीत थयु हशे. अंतमां स्थूलिभद्रना कामविजयने युद्धना रूपकथी कवि आलेखे छे त्यां एमनी वाणीनुं ओजस् पण प्रगट For Private and Personal Use Only

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