Book Title: Shrutsagar 2015 05 06 Volume 01 12 13
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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SHRUTSAGAR
MAY-JUNE-2015 लोकांतिक वचने करी, दिइ जिन वरसीदान । सहिस पुरुषसिउं परिवरिया, मनि धरि धरमनुं ध्यानो रे ॥ ३४॥ संयम आदरइ पुहुता गढ गिरिनारो रे, छांडी रिद्धि विस्तारो रे ॥ आंचली।
संयम आदरइ... राजलि ऊजलि गिरि गई, जलधरि भींना रे कीर मारगिरह...भविउ, आणिउ श्री जिन नीरो रे ॥३५|| संयम आदरइ... निज नयणे नाह निरखीउ, लीधउ संयम भार .......तप जप करी, पुहुती मुगति मझारो रे ॥३६||
संयम आदरइ... चउपन दिन काऊसग करी, नेमिजिन थई सावधान। वेतस तलि छठ तप तपी, पांमिउं केवलज्ञांनो रे ॥३७।। संयम आदरइ... अष्टादश गणधर वली, सहिसअढार महांत । सहिसच्यालीस जिन साधवी, डुढ सहिस केवली संघो रे ॥३८॥ संयम आदरइ... त्रणिसइं वरस तांइ भोगविउ, कमर पदवी अधिकार। वरस सातसइंव्रत धरिउं, सहिसवरस आयु सारो रे ॥३९॥ संयम आदरइ... सहिस साधुसिउं आवीआ, रैवतगिरि शुभ ठाण। मासखमण तप आदरी, पांम्या ...... निरवाणो रे ॥४०॥ संयम आदरइ... च्यारि निकायना देवता, उच्छव कइ अतिरंग। समुद्रविजय नृप नंदनई, कीधु मुगति प्रसंगो रे ॥४१॥ संयम आदरइ...
॥ढाल नमोरे नमोरे श्री शत्रुजय गिरवर ॥ नमो रे नमो रे श्रीनेमि जिनेसर, रैवतगिरि शृंगार रे। शंख लंछन दस धनुषमांन त, सांमलवरण उदार रे ॥४२॥ ॥आंकणी॥ धन धन श्रीयदुवंश विभूषण, समुन्द्रविजय धन तात रे। शिवादेवीमात घरि जेणई जायु, नेमिजी जगत्त विख्यात रे॥४३॥ नमुरे ... श्रीगिरिनारि धन्य ए परवत, धन्य धन्य सहिसारान रे। जिहां श्रीनेमिजिणंदनी दीक्षा, ज्ञान-निर्वाणनां ठाम रे ॥४४॥ नमुरे...
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