Book Title: Shrutsagar 2015 05 06 Volume 01 12 13
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 27
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 25 MAY-JUNE-2015 SHRUTSAGAR श्रीत्रिशला माता-कूखिसरोवरहंस, सोवनवनकाया, मुगतिसरीअवतंस ॥३॥ पूरण पुण्यइ पाई, तुह्य चरणांबुज सेवा, हुभवि भवि मांगू, ए देयो मुझ देवा ॥४॥ तुं तारक जननु, मित्र-पिता तुं माय, तुं ठाकर माहरू, तुंहजि शरण सहाय ॥५।। इम तविउ भगति, सुभगति श्रीजिन वीर, कर्म आठइ चूरी, हूउ मुगतितरू कीर ॥६॥ तपगछपति दीपइ, श्रीविशालसोमसूरिंद, अहिनिसि जस ध्याइ, पामइ परमाणंद ।।७।। संवतवर सत्तर (१७०३), तिहोत्तरा शुभ मासि, भाद्रवा शुदि चउथिं, तवीआ वीर उह्लासिं ॥८॥ कवि सिं(संघसोम कहइ, पुहुचाडु मन आस, आ भवि परभवि मुझ, दिउ तुम चरणे वास ॥९।। ॥ इति श्री महावीरस्तवनम् ।। इति चतुर्विंशति नमस्कारस्तुतिसम्पूर्णा ॥ ॥संवत १७०८ वर्षे ॥ श्री स्तंभतीर्थबिंदिरे चातुर्मासकस्थे।। पंडितश्रेणिशिरोमणि पंडित श्रीकीर्तिरत्नगणि तत्शिष्य ग. राजरत्नेन लखितमिदम् ।। साध्वी लावण्यलक्ष्मीकृते वाचनाय ॥ शुभं भवतुः ॥ श्रीरस्तु॥ For Private and Personal Use Only

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