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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर 16 मे-जून-२०१५ कृतवर्मराजा तणु जात, श्यामाकु नंदन, सकलजंतुप्रतिपाल सार, चर्चितहरिचंदन, श्रीविशालसोमसूरि दिन प्रति ए संभारइ (नि)ति, तेरसमा जिन ताहरी साची जगमाहिं ख्याति ॥१॥ ॥ इति नमस्कारः॥ विमल विमलदेहा, बोधिबीजे सुमेहा, मुगतिरमणिनेहा, सुखमइ जे अनेहा, श्रीविशालसोमसूरि-जीहा, ते (स्म)रइ राति-दीहा, मन पूरइ ईहा, जे करइ दुख छेहा ॥१३॥ ॥ इति विमलनाथस्तुतिः ।। गणअनंत जिन अनंत नामि, चऊदसम स्वामी, पामीजइ जस सेवथी, जे मनमांहिं कामी, सिंहसेननृपवंशभाण, सुयशा जस माता, भवजलधिमां पडत जंतु, तेहनु जे त्राता, सुरनर जस सेवा करइ ए सोवनवन्न शरीर, श्रीविशालसोमसूरीसरू, जस पद पादप कीर ॥१॥ ॥ इति नमस्कारः॥ श्रीअनंत जिनेसर सुंदरू, जे केवलन्यान दिवाकरू, श्रीविशालसोमसूरि सुखकरू, वंदीजइ मुगतिरमणिवरू॥१४॥ ॥ इति अनंतनाथस्तुतिः॥ धर्मरूप श्रीधर्मनाथ साथ, जे सुभगति केरू, तारणतरणतरंड देव, ए सम नहीं अनेरू, भानुरायकुलि गयणचंद, सुव्रतासुत स्वामी, भूला कां भमु भव्य लोक, ए ठाकुर पामी, श्रीविशालसोमसूरिंद गुरू, जस पयकमलई भंग, पनरसमां जिणंदपय, होयो मुझ मन संग ॥१॥ ॥ इति नमस्कारः ।। For Private and Personal Use Only
SR No.525300
Book TitleShrutsagar 2015 05 06 Volume 01 12 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2015
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
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