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MAY-JUNE-2015
SHRUTSAGAR
श्री शीतल जिनवर सुंदरू, नमु भावई वंछित सुरतरू, भव्यजीवकलिमलदिणेसरू, श्रीविशालसोमसूरि सुखकरू ॥१०॥
॥इति शीतलनाथ स्तुतिः॥ श्रीश्रेयांस इग्यारमा, श्रेय भगतनइं आपइ, दालिद्रनइ दोभाग दुख, ते हेलामां कापइ, विष्णुभूपकुलचंद नाथ, विष्णुराणी नंदन, जगहंजंतु हितकार सार, भयभावठि भंजन, श्रीविशालसोमसूरिंदवर, ध्यान धरइ मन साथि, तेह नाम जपतां सही, नुहइ कसी अनाथि ।।१।।
।। इति नमस्कारः ।। विष्णुनरपतिकुलसिरचंदलु, श्रीश्रेयांस जिनवर गुणनिलु, विष्णुराणी ऊअरइं हंसलु, श्रीविशालसोमसूरितिलु ।।११।।
॥ इति श्रेयांसनाथस्तुतिः॥ चिहुंगतिवारण नमु देव, वसुपूज्यनृपनंदन, जयाराणीअंगजात, दुखदारिद्रइ खंडण, रत्तुप्पल सम देह वान, सुर सेवा सारइ, वासुपूज्य जिन बारमा, भव पार ऊतारइ, श्रीविशालसोमसूरिंदवर, जेहनइं नांमइं सीस, बि कर जोडी विनवू, पूरू मनह जगीस ॥१॥
॥इति नमस्कारः॥ श्रीवासुपूज्य जिनवर पूजीइ, जेहथी अंतरंग रिपू धूजीइ, दुखदालिद्र दूरिं गंजीइ, श्रीविशालसोमसूरि आणंदीइ ॥१२॥
॥ इति वासुपूज्यस्तुतिः॥ विमल नामि ती(ति)त्थेसरू, सुर-नर मन मोहइ, तेजवंत जिम भाण देह, सोवनवन सोहइ,
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