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श्रुतसागर
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महसेननृपकुलकेतुसम, धन लखमणा रांणी, जास कूखि जिनराज किद्ध, वास निज उत्तम जाणी, गुणमणिरोहण भूधरू ए, अपर-मपर भगवंत, श्रीविशालसोमसूरि जेहना, गुणगाइ नितु संत ॥१॥ ॥ इति नमस्कारः ॥
नुं ( नव)मा सुविधि तणा सुपाय, प्रणमुं जनवल्लभ, जेहथी लहीइ सयल सुख, जे जगमां दुरलभ, सुग्रीव नृप रामा सुमात, जेहनीअ भणिज्जइ, सेवकजन आस्याविश्राम, ए ओपम दीज्जइ, श्रीविशालसोमसूरिंदना ए, पय प्रणमुं सुखकार,
भविक जन भावसिउं, ए जिन वारोवार ॥१॥ ॥ इति नमस्कारः ॥
सुविधि सुविधि भाख, सुद्ध सिद्धांत दाख, शिवसुख सवि चाखइ, निर्मल ज्ञान राख, श्रीविशालसोमसूरि आखइ, सिद्धि नहीं एह पाखइ, भविक भजन राखइ, एहनुं नाम दाखई ॥ ९ ॥
॥ इति (सुविधिजिन) स्तुतिः ॥
चंद्रप्रभ जिननी सेवना, जे सारइ नर थई एकमना,
ते पामइ सुख सवि सिद्धिना, वंदइ श्रीविशालसोमसूरि शुभमना ॥८॥ ॥ इति चंद्रप्रभस्तुतिः ॥
दसमा शीतलनाथ स्वामि, पुहुवई प्रणमीज, दृढरथनंदन देव नमी, नरभवफल लीजइ,
, नंदामाताकूखिहंस, त्रिजगनायक पूजनीक, धन ईक्ष्वाक वंश, सकल मनोरथ पूरणु ए, महिमावंत मयाल, श्रीविशालसोमसूरिंद वर, नित जपइ गुणमाला ||१||
॥ इति नमस्कारः ॥
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मे - जून -:
-२०१५