SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org श्रुतसागर 14 महसेननृपकुलकेतुसम, धन लखमणा रांणी, जास कूखि जिनराज किद्ध, वास निज उत्तम जाणी, गुणमणिरोहण भूधरू ए, अपर-मपर भगवंत, श्रीविशालसोमसूरि जेहना, गुणगाइ नितु संत ॥१॥ ॥ इति नमस्कारः ॥ नुं ( नव)मा सुविधि तणा सुपाय, प्रणमुं जनवल्लभ, जेहथी लहीइ सयल सुख, जे जगमां दुरलभ, सुग्रीव नृप रामा सुमात, जेहनीअ भणिज्जइ, सेवकजन आस्याविश्राम, ए ओपम दीज्जइ, श्रीविशालसोमसूरिंदना ए, पय प्रणमुं सुखकार, भविक जन भावसिउं, ए जिन वारोवार ॥१॥ ॥ इति नमस्कारः ॥ सुविधि सुविधि भाख, सुद्ध सिद्धांत दाख, शिवसुख सवि चाखइ, निर्मल ज्ञान राख, श्रीविशालसोमसूरि आखइ, सिद्धि नहीं एह पाखइ, भविक भजन राखइ, एहनुं नाम दाखई ॥ ९ ॥ ॥ इति (सुविधिजिन) स्तुतिः ॥ चंद्रप्रभ जिननी सेवना, जे सारइ नर थई एकमना, ते पामइ सुख सवि सिद्धिना, वंदइ श्रीविशालसोमसूरि शुभमना ॥८॥ ॥ इति चंद्रप्रभस्तुतिः ॥ दसमा शीतलनाथ स्वामि, पुहुवई प्रणमीज, दृढरथनंदन देव नमी, नरभवफल लीजइ, , नंदामाताकूखिहंस, त्रिजगनायक पूजनीक, धन ईक्ष्वाक वंश, सकल मनोरथ पूरणु ए, महिमावंत मयाल, श्रीविशालसोमसूरिंद वर, नित जपइ गुणमाला ||१|| ॥ इति नमस्कारः ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only मे - जून -: -२०१५
SR No.525300
Book TitleShrutsagar 2015 05 06 Volume 01 12 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2015
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy