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MAY-JUNE-2015
SHRUTSAGAR
श्रीविशालसोमसूरि संपइ, नाम जेहनुज जंपइ, सो सुमति समोपइ, सेवकां ज्ञानजोपइ(?) ॥५॥
॥ इति सुमतिनाथ स्तुतिः॥ पद्मप्रभ पति विश्वनु, शिवगतिनु गामी, धरराजाकुलि(ल)गगनि, चंद, वंदुं शिरनामी, मातसुसीमाऊअरिहंस, जिननाथ भणीज्जइ, चिहंगतिछेदण देव! तुज्झ, ओपम कुण दीज्जइ, प्रहि ऊठी नित जेहनु ए, धरइ ध्यान मनमांहिं, श्रीविशालसोमसूरीसरू, नित मननइ उछाहिं ।।१।।
॥ इति नमस्कारः ।। कुसमबाणतणु हठभंजणु, जिनराज निरंतर संथुणु, पद्मप्रभ छट्ठा जिन तणु, बोलइ विशालसोमसूरि जस घणु ॥६॥
॥ इति पद्मप्रभस्तुतिः॥ कुसमबाणहठभंजणु, जिनराज निरंजन, सत्तम सामि सुपास आस-पूरू सुरवदन, प्रतिष्ठरायकुलतिलक, देव! प्रथिवीउ(ऊ)रि हंस, मोहादिकगजदमनसीह, सहू करइ प्रसंस, श्रीविशालसोमसूरिंदवर, जास वहइ सिरि आण, त्रिभुवनजनतारणतरण, प्रणमुं हुं सुविहाण ॥१॥
॥ इति नमस्कारः॥ श्रीसुपास जिणेसर सातमु, नित भविआं प्रहि ऊठी नमु, श्रीविशालसोमसूरिंद समु, मुखकमल दीठइ मुझ दुख वमु ॥७॥
॥ इति सुपासस्तुतिः ॥ चंद्रकांति जिन आठमु, चंद्रप्रभ भणीइ, विघनविहडन विश्वदेव, सुरनर नितु थुणीइ,
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