Book Title: Shrutsagar 2015 05 06 Volume 01 12 13
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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श्रुतसागर
मे-जून-२०१५ भजउ भविक नर वीसमा, मुनिसुव्रतस्वामी, राज-रमणि सवि परिहरी, शिवरामाकामी, सुमित्ररायकुलि गगनि सूर, पदमावती जननी, आठ करम सवि क्षय करी, वात कीधी मननी, श्रीविशालसोमसूरीसरू, ए वांचि जास प्रभाव, अंजनकंति मन खंति करि, नमु भवि आणी भाव ॥१॥
॥इति नमस्कारः।। मुनिसुव्रत महिमामंदिरू, सुमित्ररायकुलगगनई दिनकरू, पदमावतीमातासुत वरू, श्रीविशालसोमसूरि जयकरू ॥२०॥
॥इति मुनिसुव्रतस्तुतिः ॥ एकवीसमा श्रीप्रभु प्रगट भाव, नमिनाथ नमुं नित, पयकमलिं तस करूं वास, मुझ मन भमराहित, पिता जास पुहुविं प्रसिद्ध, श्रीविजय नरेसर, वप्रारांणीऊअरि हंस, लीलाअलवेसर, श्रीविशालसोमसूरिंद परिए, दीपइ जिनगुणगेह, करमदवानलओह्नवण, प्रभु आसाढउ मेह ॥१॥
॥इति नमस्कारः। नमि जिन नित ध्याउं, सिद्धिनां सुख पाउ, परम पुरूष पाउ, जिम्म संपन्न थाउ, श्रीविजयनृपसुखकंदु, मातवप्रासुनंदु, श्रीविशालसोमसूरिंदु, जास वंदइ मुणिंदु ।।२१।।
॥इति नमिनाथ स्तुतिः॥ श्रीयदुवंसई तिलक देव, नेमीसर सुणीइ, ति(त)जी राज राजीमती, ब्रह्मचारी भणीइ, समुद्रक्जियसुत विश्वनाथ, करूणापर जाणी, श(शि)वादेविनंदन निपुण, प्रणमु गुणखांणी,
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