Book Title: Shrutsagar 2015 05 06 Volume 01 12 13
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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SHRUTSAGAR
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कुंथ जिन सुखकारी, जे हूउ चक्रधारी, दीइ संपद सारी, दुख-दुर्गति वारी, भविजनमनठारी, जे वरि मुगति नारी, श्रीविशालसोमगणधारी, तेहनु ध्यान धारी ॥१७॥
॥ इति कुंथजिनस्तुतिः ॥
अरतिनिवारण अर जिणंद, सत्तम चक्रधारी, अढारमु तीत्थेसरू, दुख- दुर्गतिवारी राय सुदर्शन देवि मात, जेहनी जगि सोहि, कंचनवरणी देहि स्वामि, सवि जगजन मोहइ, श्रीविशालसोमसूरिंद गुरू, संघनइ करइ कल्याण, निरंतर भगत जन, हि ऊठी सुविहाण ॥१॥ ॥ इति नमस्कारः ॥
अर अरति निवारइ, जंतुनां कांम सारइ, भवभयदुखभारइ, पापना पंक टारइ, सत्तम चक्रधारी, जेणि माया निवारी, श्रीविशालसोमगणधारी, नाम लइ सुखकारी ॥ १ ॥
।। इति अरजिन स्तुतिः ॥
मल्ल प्रति मल्ल एह, श्री मल्लि निरंजन, नील वरण जस कंति खंति, मुझ छइ तस वंदन, कुंभनरेसरवंशकेतु, प्रभावती माता, पवित्र हुयो मुझ जीह दीह, राति जस बहु गुण गाता, श्रीविशालसोमसूरिंदे नित पय प्रणमइ बहु भावि, मन कामित सवि पांमीइ, जे जिन नामप्रभावि ॥ १ ॥ ॥ इति नमस्कारः ॥
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MAY-JUNE-2015
करममल्ल हवा चालीउ, जेणइ स्वांमीइं दान संवत्सर दीउ, श्रीमल्लिनाथिनं शिवसुख लीउ, श्रीविशालसोमसूरि वंदीउ ॥ १९ ॥
॥ इति मल्लिनाथस्तुतिः ॥

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