Book Title: Shrutsagar 2015 05 06 Volume 01 12 13
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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SHRUTSAGAR
MAY-JUNE-2015 श्रीधर्मनाथ प्रभु गुण भरिउ, भानुरायवंश पवित्र करिउ, श्रीविशालसोमसूरि सिरि धरिउ, पन्नरमइ जिणइं दोहग हरिउ ॥१५॥
॥इति धर्मनाथस्तुतिः ॥ सोभसमा श्रीशांतिनाथ, दूखदरि(त) विहंडण, अलिअ-विघन सवि अंतराय, ते हेलां खंडण, जनमथिकइ जिणइ देवि, हेवि जगि मारि निवारी, त(ती)र्थंकर पदे लहिउं जेण, पंचम चक्रधारी, श्रीविशालसोमसूरिंदवर, ध्यान धरइ निसिदीस, विश्वसेन-अचिरासुतन, नित हुं नामुं सीस ॥१॥
॥ इति शांति नमस्कारः। श्रीसंति जिणेसर भुवनदिनेसर, वंदु ऊलट आंणीजी, सोलसमु जिनवर गुणमणिआगर, आपदवारण जाणीजी, विश्वसेननंदन जनमनरंजन, व(व)दन भविजन प्रांणीजी, श्रीविशालसोमसूरीसर ईसर, गुण गाइ शुभ वाणीजी ॥१॥ सेत्रंज अष्टापद गिरिनारि, तीरथ अर्बद सारजी, समेतशिखर चित्रकूट तारिंगइ, वली जिहां जैन विहारजी, ते सवि तीरथ भाविं वंदु, जिम पामउ भवपारजी, श्रीविशालसोमसूरीसर जेहनइ, वंदइ वारोवारजी ॥२॥ जिनमुखपद्मद्रहथी नीकली, श्रीश्रुतगंगा सारजी, गणधरदेवमुखकुंडई पुहती, हूई त्रिपथ ओदारजी, मिथ्यामतवैताढ्यनइं भेदी, पवित्र कीधउ अणगारजी, श्रीविशालसोमसूरीसर स्वयं मुखि, जेहनु कहइ विचारजी ॥३|| अनेक देव-देवीगणसेवी निरवाणी सुखकारीजी, श्रीविशालसोमसूरि चुविह संघनइ, सदाइ मंगलकारीजी, भगतवछल ए ओयम दीजइ, आपइ संपद सारीजी, आपदवारण सुजसकारण, संघसोम जयकारीजी ।।४।।
॥ इति शांतिनाथस्तुतिः॥
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