Book Title: Shrutsagar 2015 01 02 Volume 01 08 09
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सोमसुंदरसूरिबिरूदावली कुलक ॥०॥ सिरिससिगणनहमंडणमयंक', पक्खालिअभविअपावपंक। सिरिसोमसुंदरगुरु ज(जु)गपहाण, मह सुणि विनति सावहाण ।।१।। बालप्पणि पई धूली रमंत, जं जंपिअ तं अच्छरिअ हंत । सिरिदेवसुंदर गुरि अप्प हत्थ, तुह खंधि पइडिअ जवपसत्थ ।।२।। जं सक्कहतं मिम्हेहभार, पई जंपिअ हुं उद्धरणहार | तिणि वयणि चमक्किअ गुरु अपार, सोमिग तुह थप्पइ चरणभार ||३|| गुरि सोमसुंदरमुनि ठविअ नाम, लावन्नरूप सोहग्गढा(धा)म | तुह अंगि अच्छइं लक्खण बतीस, पई कलिय कला बिमणी छतीस ।।४।। दसभेअ जई जिणधम्म-मम्म, पइं जाणि अजाणि अप्पसम्म । तुह चरणमग्ग जिम खग्गधार, जगगुरु तुह जयणा जगह सार ।।५।। पइ पामिअ सुअसायरह पार, तिणि कारणिं तुह ए गच्छभार | गछनायक दायक-सिवसुहाण, तुह गुरूअडि सुरसेलहसमाण ||६|| त्रीसई संवच्छरि तुम्ह जम्म, सामिअ सात्रि[सइं] समणधम्म | सतितालई वाचकपद बंइट्ठ, गणहर तुं गणहरगुणगरिट्ठ ।।७।। ढिल्लीइवासि नरसिंह साह, मंडाविअ अतिणि उच्छवअवार' | गणहरपय सत्तावनई" तुम्ह, काराविअ किअ निअ सफल जम्म ||८|| सिरिदेवसुंदरगुरु जुगपहाण(णु), जव हूअ दिवंगत भुवणभाणु । तव फरइ ए कलिकालि रत्ति, व्यापेइ जगि अन्नाण झत्ति ।।९।। संवत्त चउदसत्सट्टिार वासि,पइ निम्मिअ अभिनवदिन(ण)पयासि। . गछनायकह दिनकर कर समाण, जगि वरतिइ सामीअ तुम्ह आण ||१०।। १. चंद्र, २. कादव, ३. तमे, ४. आश्चर्य, ५. नाम, ६. मोटाई, ७. वि.१४३०, ८. वि.१४३७, ९. वि.१४४७ १०. अपार, ११. वि.१४५७, १२. वि.१४६७, १३. सूर्य, For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82