Book Title: Shrutsagar 2015 01 02 Volume 01 08 09
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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सोमसुंदरसूरिबिरूदावली कुलक
॥०॥ सिरिससिगणनहमंडणमयंक', पक्खालिअभविअपावपंक। सिरिसोमसुंदरगुरु ज(जु)गपहाण, मह सुणि विनति सावहाण ।।१।। बालप्पणि पई धूली रमंत, जं जंपिअ तं अच्छरिअ हंत । सिरिदेवसुंदर गुरि अप्प हत्थ, तुह खंधि पइडिअ जवपसत्थ ।।२।। जं सक्कहतं मिम्हेहभार, पई जंपिअ हुं उद्धरणहार | तिणि वयणि चमक्किअ गुरु अपार, सोमिग तुह थप्पइ चरणभार ||३|| गुरि सोमसुंदरमुनि ठविअ नाम, लावन्नरूप सोहग्गढा(धा)म | तुह अंगि अच्छइं लक्खण बतीस, पई कलिय कला बिमणी छतीस ।।४।। दसभेअ जई जिणधम्म-मम्म, पइं जाणि अजाणि अप्पसम्म । तुह चरणमग्ग जिम खग्गधार, जगगुरु तुह जयणा जगह सार ।।५।। पइ पामिअ सुअसायरह पार, तिणि कारणिं तुह ए गच्छभार | गछनायक दायक-सिवसुहाण, तुह गुरूअडि सुरसेलहसमाण ||६|| त्रीसई संवच्छरि तुम्ह जम्म, सामिअ सात्रि[सइं] समणधम्म | सतितालई वाचकपद बंइट्ठ, गणहर तुं गणहरगुणगरिट्ठ ।।७।। ढिल्लीइवासि नरसिंह साह, मंडाविअ अतिणि उच्छवअवार' | गणहरपय सत्तावनई" तुम्ह, काराविअ किअ निअ सफल जम्म ||८|| सिरिदेवसुंदरगुरु जुगपहाण(णु), जव हूअ दिवंगत भुवणभाणु । तव फरइ ए कलिकालि रत्ति, व्यापेइ जगि अन्नाण झत्ति ।।९।। संवत्त चउदसत्सट्टिार वासि,पइ निम्मिअ अभिनवदिन(ण)पयासि। . गछनायकह दिनकर कर समाण, जगि वरतिइ सामीअ तुम्ह आण ||१०।।
१. चंद्र, २. कादव, ३. तमे, ४. आश्चर्य, ५. नाम, ६. मोटाई, ७. वि.१४३०, ८. वि.१४३७, ९. वि.१४४७ १०. अपार, ११. वि.१४५७, १२. वि.१४६७, १३. सूर्य,
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