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संस्कृतादि भाषाना व्याकरण, कोष, छंद, काव्य अने अलंकारविषयक केटलाक प्रधान ग्रंथोनी एक टुंकी यादी
मुनि जिनविजय
आ नीचे आपवामां आवेली यादी एक जूना हस्तलिखित पाना उपरथी उतारेली छे. जे पानामां आ यादी लखेली छे तेनुं कद लगभग सवा दस इंच लांबु अने ४।। इंच पहोळुं छे. डाबी बाजुए अडधो इंच जेटलो भाग कोरो छोडी, बाकी बधो भाग बने बाजुए खीचो खीच लखाणथी भरेलो छे छेवटे लख्या प्रमाणे कोइ कांतिविजय नामना जैन यति के साधुए आ यादी लखेली छे. लख्यानी साल आपेली नथी तेथी ए यादी केटला वर्षनी जूनी छे ते चोक्कस कही शकाय नही.
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आ छल्ला ४ सैकामां कांतिविजय नामना केटलाय जैन यति-साधु थइ गला होवाथी मात्र लखनारना नाम उपरथी कोइ पण जातनो कालनिर्णय बांधवो ते प्रमाणभूत नही ज गणी शकाय. पण कागळनां रूप-रंग जोतां लगभग २५०३०० वर्ष जेटली ए यादी जूनी होवानो संभव होइ शके.
लखाणनी शैली उपरथी जणाय छे के कोइ पण खास एक पुस्तकभंडारनी तो ए यादी नथी. एटले गणि कांतिविजयजीए कां तो कोइ जूनी यादीनी नकल करेली होवी जोइए, अने कां तो तेमणे पोतानी जाणमां के जोवामां आवेलां पुस्तकोनी आ नवी ज नोंध तैयार करेली होवी जोईए. आमांनो पहेलो तर्क मने वधारे संभवित लागे छे, कारण के, आ यादीमां जे ग्रंथोनी नोंध करेली छे ते बधा विक्रमना पंदरमा सैकानी पहेलानां रचायेला छे. ए सैका पछीना एके ग्रंथनी नोंध आमां नथी.
महालना जमानामा जाहेर पुस्तकालयो माटे के खानगी ग्रंथ संग्राहको माटे पसंद करेला पुस्तकोनी नानी मोटी यादीओनी लोकोने अपेक्षा रह्यां करे छे अने ए अपेक्षानुसार अवार-नवार मासिक पत्रादिकोमां एवी यादीओ प्रगट थती रहे छे तेम आगळना समयमां पण केटलेक अंशे थतुं हतुं. जूना ग्रंथालयोमां आवी अनेक यादीओ मळी आवे छे जे विद्वानोए पोतानी जाण माटे के पुस्तक भंडारो बनावनाओ माटे तैयार करेली होय छे.
आ जातनी यादीओमांनी एक मोटी यादी, जैन साहित्य संशोधक नामना
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