Book Title: Shrutsagar 2015 01 02 Volume 01 08 09
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 62
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra SHRUTSAGAR www.kobatirth.org 60 धर्म = धर्म चर्चा = चर्चा वर्णन = वर्षान दुर्लभ = दान Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रेफसूचक चिह्न इस लिपि में रेफ के लिए (-) चिह्न प्रयुक्त हुआ है। यह चिह्न उस अक्षर के ऊपर बायें से दायीं ओर 'ई' की मात्रा की तरह लगाया जाता है, जो आधुनिक नागरी में भी समानरूप से प्रचलित है । पाण्डुलिपि पढते समय एवं लिप्यन्तर करते समय यह चिह्न दीर्घ 'ई'कार की मात्रा का भ्रम भी उत्पन्न करता है। विदित हो कि हस्तप्रतों में रेफयुक्त वर्ण को द्वित्व लिखने की परंपरा मिलती है । यथा January-February-2015 नागरी लिपिबद्ध एक काष्ठपट्टिका' पश्चिमी राजस्थान एवं गुजरात के तत्कालीन शिक्षणकेन्द्रों में प्राचीन नागरी लिपि की वर्णमाला सीखने एवं पाण्डुलिपि लिप्यन्तर कार्य हेतु इन काष्ठपाटियों का उपयोग होता था, इन्हें कक्कापाटी या स्वर- व्यंजनपट्टिका भी कहते हैं । Inte रिफाळक For Private and Personal Use Only १. श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र - कोबा के 'सम्राट् संप्रति संग्रहालय' में प्रदर्शित |

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