Book Title: Shrutsagar 2015 01 02 Volume 01 08 09
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR January-February - 2015 २. विधिपूर्वक अनुष्ठान करता जळ वगेरे (अग्नि-विष-विषधर-ग्रहचार-राज-रोग युद्ध-राक्षस-शत्रुसमूह-मारी-चोरी-श्वापद-भूत-पिशाच-शाकिनीनो भय दूर करनार छे. वळी शिव-शांति-तुष्टि-पुष्टि अने क्षेम करनार छे. (गाथा-१४/१६) आ स्तवना वांचननी (पठन) वात तो दूर रही ते स्तव सांभळवाथी अने तेनी भावना करवाथी पण शांतिपद-सिद्धिपद प्राप्त थाय छे. (गाथा-१७) प्रस्तुत कृतिनो सामान्य परिचय पंचप्रतिक्रमणसूत्र प्रबोधटीका भा. २, पृ. ३६२ उपर नीचे मुजब जोवा मळे छे. * गाथा १ 'मंगलादिनो निर्देश' करे छे. शांतिस्तवनी पहेली गाथामां कर्त्ताए शांतिस्तव, मंगल करी स्तोत्र रचनाना विषय अने कारण जणाव्या छे. * गाथा २ थी ६ 'श्रीशांतिजिन-नाममंत्र-स्तुति' रूप छे. गाथा नं. २ थी ६ मां शांतिनाथ परमात्मानी जुदा जुदा विशेषणो पूर्वक स्तुति करता देवीनुं विजयाने तुष्ट करवा प्रक्षेप कराता शांतिबलिने अभिमंत्रित करवानो मंत्र (महावाक्य) पद्यमां गुंथी दइ शरूआत करी छे. * गाथा ७ थी १३ 'जगन्मंगल-कवच-युक्त-नाम स्तुति' रूप छे. गाथा नं. ७ थी १३मां ते ज देवीनी स्तुति करी जगतनी जनताने ८ भागमा विभक्त करवामां आवी छे. अने दरेक वर्गना कयां कयां कृत्यो विजया अने जयाने करवाना छे अथवा करी रह्या छे. तेनी नोंध छे. अने कल्याण वगेरे करवानी पण प्रार्थना करी छे. * गाथा १४-१५ 'प्रधान वाक्य-युक्त अक्षर स्तुति' तेमज 'आम्नाय' रूप छे. गाथा नं. १४-१५मां शांतिपरमात्माना नाम-प्रधान वाक्य (अक्षर) युक्त मंत्रना पदो जणाव्या छे. अने गाथा २ थी शरू करेल शांति बलिमंत्रनी गुंथणी पूर्ण करी छे. * गाथा १६-१७ 'फळ श्रुति' रूप छे. गाथा नं. १६ तेमज १७मां शांतिस्तवनी मंत्रगर्भित होवानी वात तथा पूर्वाचार्योनो संबंध जणावी स्तवपाठनुं फळ जणाव्युं छे. * गाथा १८-१९ 'अंत्यमंगल' छे. गाथा नं. १८ अने १९मां अंत्यमंगल करवामां आव्युं छे. आ कृति मंत्रशास्त्रनां ज्ञाता अने जिज्ञासुओ माटे खूब उपयोगी छे. जिज्ञासुओए For Private and Personal Use Only

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