Book Title: Shrutsagar 2015 01 02 Volume 01 08 09
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 25
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 23 श्रुतसागर 23 जनवरी-फरवरी - २०१५ ६. गाथा नं. १७ वा ७. गाथा नं. १७ सूरिः श्रीमानदेवश्च सूरिश्रीमानदेवश्च २. टीकाकारश्रीए प्रसिद्ध अर्थ करता केटलाक स्थानोए विशिष्ट/भिन्न अर्थ कर्या छे. जे नीचे मुजब छे - * निचिताय शब्दनो अर्थ (प्रसिद्ध ग्रंथोमां पाठ ज न होवाथी) प्राप्त नथी. टीकागत अर्थ :- 'कर्मनो संग्रह ज जेमने नथी तेवा' एवो अर्थ कर्यो छे. * कृततोषा प्रसिद्धार्थ :- (नाममंत्रवाळा वाक्यना प्रयोग वडे) तुष्ट करायेली. टीकागत अर्थ :- जेणे भव्यजीवोने संतोष आप्यो छे. तेवी. * जयावहेभवति प्रसिद्धार्थ :- हे जयावहे! (हे जयने लावनारी) हे भवति आप टीकागत अर्थ :- विजयकारी हाथी जेनुं वाहन छे ते. * सुजये प्रसिद्धार्थ :- सारो जय पामनारी ('भगवती' शब्दनुं विशेषण कर्यु छे. टीकागत अर्थ :- हे जयादेवी! ('सुजये' - देवी- नाम छे.) * सत्त्वानाम् प्रसिद्धार्थ :- अन्वय 'अभयप्रदाननिरते' साथे छे. टीकागत अर्थ :- 'निवृतिनिर्वाणजाननि!' साथे कर्यो छे. * जयदेवि! विजयस्व-प्रसिद्धार्थ :- हे देवी! तुं जय पाम! विजय पाम! टीकागत अर्थ :- हे जयदेवि! तुं विजय पाम. * गुणपति! प्रसिद्धार्थ :- त्रिगुणात्मक (सत्त्व-राजस्-तमस् गुणोथी युक्त) देवी! टीकागत अर्थ :- वरदत्व-दक्षता-दाक्षिण्यादि गुणने धारण करनारी! * राजरोग प्रसिद्धार्थ :- राजा अने रोग टीकागत अर्थ :- राजरोग = क्षय ३. कर्ताए जुदा-जुदा स्थळे शब्दसिद्धि-प्रमाण वगेरे दर्शावता-भागवत, खंडप्रशस्ति, गणरत्नमहोदधि, अनेकार्थसंग्रह, काव्यालंकार, अव्ययशब्दवृत्ति, सिद्धहेमशब्दानुशासन, पाणिनीयव्याकरण जेवा ग्रंथोनो प्रयोग कर्यो छे. ४. गाथा नं.८मां 'सर्वस्याऽपि च संघस्य पद कह्या पछी 'साधुनां च पद न्यास® कारण, गाथा नं. १३मां 'स्वस्ति च' शब्दमां "स्वस्ति' अव्ययनो शब्द तरीके प्रयोगनुं कारण, गाथा नं. १४मां 'नमो नमः' पदमां 'नमः' पदनी द्विरुक्तिनी शंका अने तेनुं समाधान, ए सिवाय - 'स्वामिने, प्रददे, विदर्भितः' शब्दोनी व्युत्पत्ति ध्यानाकर्षक छे. For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82