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SHRUTSAGAR
12 January-February - 2015 पद्यक्रमांक ४०-४१मां 'सूरिजी काळधर्म पामी महाविदेह क्षेत्रमा जई एक भवमा ज मोक्षसुखने पामशे' ए प्रमाणे सीमंधरस्वामीना मुखथी सांभळी अंबादेवीए कहेली वात करी कवि सूरिजीना काळधर्म संबंधी महत्त्वपूर्ण नोंध करे छे.
कृतिना अंत्य पद्योमा सूरिजीना सूरिपद तथा गणधरपदना वर्षोनो अनुक्रमे उल्लेख करता कवि पछीना पद्यमां गुरुगुणस्तुतिथी थता लाभनुं वर्णन करे छे. काव्यांते पोताना नामने अप्रगट राखी पोतानी गुरुपरंपराना उल्लेख पूर्वक कवि काव्यनुं समापन करे छे. - प्रस्तुत कृति सोमसौभाग्य काव्य साथे सरखावता एवी केटलीय विगतो छ जे ते काव्यमां मुनि प्रतिष्ठासोम द्वारा आलेखाइ नथी. जो के सोमसौभाग्य काव्यनी रचना संवत १५२४नी छे. ज्यारे प्रस्तुत रचनाकार सोमसुंदरसूरिजीना शिष्य जयचंद्रसूरिजीना शिष्य जयचंद्रसूरिना ज साक्षात् शिष्य होइ तुरंतना रचनाकार गणाय तेथी स्वाभाविक छे के सूरिजीना जीवनथी वधु परिचित होय तेवू बने. कदाच एटले ज तेओ आटलु सूक्ष्म वर्णन करी शक्या होय. बीजु कृति अपभ्रंश होवाथी घणी जग्याए दुर्बोध रहे छे. जो के प्रस्तावनामां कृतिनो भावार्थ अमे अमारी समज मुजब तैयार कर्यो छे. तेमांय अमुक पद्यो गा. २२, २४ तथा केटलांक शब्दो पण समजवा अघरा ज रह्या छे.
मूळ कृति साद्यंत तपासी आपवा बदल प.पू. आचार्यदेवश्री विजय शीलचंद्रसूरिजी म. सा. नो खूब-खूब आभार... विशेष आ कृतिना ऐतिहासिक तथ्यो पर कोई विद्वान प्रकाश पाडे तो वधु विगतो आ कृतिमांथी मळशे ए आशा अस्थाने नथी...
प्रस्तुत कृति आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर - कोबामां प्रत क्रमांक७२५२८मां संग्रहायेल छे. प्रतमां कुल त्रण पत्रो छे. अक्षरो प्रमाणमां मोटा अने बेडोळ जणाय छे. विशेष पाठ, दंड अने अंक माटे लाल रंगनो वपराश कर्यो छे. प्रत परिमाण २६x११ छे. दश लाईनमा ३३ जेटला अक्षरोनुं आलेखन थयुं छे.
प्रतना लेखन उपरथी विक्रमनी १९मी सदीमां लखायेल छे. पाणीना कारणे प्रत थोडी खराब थयेल छे. जो के कृतिना पाठने क्यांय नुकसान थयेल नथी. विक्रमनी १९मी सदीमां थयेल लब्धिविजय नामना कोई मुनिभगवंतना पठन हेतु आ प्रतना आलेखन थयानो अंत्य पुष्पिका स्वरूपे उल्लेख प्राप्त थाय छे.
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