________________
व्याख्या
१५, सूप-विधि-परिमाण :
सूप को अर्थ है - दाल । दाल अनेक प्रकार की है मूंग, डड़द आदि की। उनकी मर्यादा करना । १६. विंगय-विधि-परिमाण : . दुग्ध, दहि, धृत, तेल एवं मिठाई आदि पदार्थ विकार उत्पन्न करने के कारण विकृत ; अर्थात विगय कहलाते हैं । ये सामान्य विगय हैं । मधु और मक्खन विशेष विगय है । मद्य और मांस महाविगय हैं । श्रावक के लिए मदिरा और माँस का तो मूलतः ही निषेध होता है। शेष विकृतियों की मर्यादा करनी चाहिए । १७. शाक-विधि-परिमाण : - भोजन के साथ व्यञ्जन-रुप में खाए जाते हैं, वे शाक होते हैं । उनकी मर्यादा करना। १८. मधुर-विधि-परिमाण :
आम, जामुन, केला एवं अनार आदि हरे फलों को और दाख, बादाम एवं पिश्ता आदि सूखे फलों को मधुर कहते हैं । डनकी मर्यादा करना। १६. जेमन-विधि-परिमाण : ___ जो पदार्थ भोजन के रूप में खाए जाते हैं, उनको जेमन कहते हैं । रोटा, बाटी पूरी आदि । उनकी मर्यादा करना । २०. पानी-विधि-परिमाण : ___ खारापानी, मीठा पानी, गरम पानी, और ठंडा पानी, नदी का पानी आदि अनेक प्रकार का जल है । उनकी मर्यादा करना । २१. मुख-वास विधि-परिमाण :
इलायची, पान एवं सुपारी आदि पदार्थों को मुख-वास कहते हैं । ये भोजन के बाद स्वाद के लिए खाए जाते हैं । इस प्रकार के पदार्थों की मर्यादा करना।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org |