Book Title: Shravaka Pratikramana Sutra Author(s): Vijaymuni Shastri Publisher: Sanmati Gyan Pith AgraPage 174
________________ घ्याख्या महावीर स्तुति नमो दुर्वार - रागादि, वैरि - वार निवारणे । अर्हते योगि - नाथाय, महावीराय तायिने । भव बीजांकुर - जननाः, रागाद्याः क्षयमुपागता यस्य । ब्रह्मा वा विष्णु वर्वा, . हरो जिनो वा नमस्तस्मै ।। -आचार्य हेमचन्द्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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