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फिर दाहिना घुटना नीचे करके एवं बांबा घुटना ऊँचा करके दो 'नमोत्थूणं' पाठसंख्या १० बोले ।
बाद में साधु महाराज को वन्दना करे फिर वहाँ स्थित समस्त श्रावकों से क्षमापना करे ।
टिप्पणी :
व्याख्या
[१] प्रतिक्रमण करने वाले पुरुष एवं स्त्रियों को इतना ध्यान रखना चाहिए, कि अतिचार आलोचना के पाठों में जहाँ पर 'आलोचना करता हूँ, पाठ है, वहाँ पुरुषों को 'आलोचना करता हूँ, यह बोलना चाहिए, और स्त्रियों को 'आलोचना करती हूँ, यह बोलना चाहिए ।
[२] यहाँ प्रतिक्रमण करने की जो विधि दी गई है, वह स्थूलरूप में दी गई है, केवल रूप-रेखा दी गई है, पूर्ण विधि नहीं है; क्योंकि श्रावक प्रतिक्रमण की एक विधि नहीं है । विभिन्न प्रान्तों में विभिन्न विधि प्रचलित है । अतः प्रतिक्रमण की पूर्ण विधि देना शक्य नहीं है । जहाँ पर जैसी विधि प्रचलित हो, तदनुसार कर लेना चाहिए ।
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