Book Title: Shravaka Pratikramana Sutra
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 169
________________ १.६० सारं सारं एगो सेसा मज्जं ए Jain Education International मे नाण दंसण नाणं, सारं तव नियम संजम सीलं । निणवर धम्मं, संलेहणा सारं में सव्वे ५ : ए जीवे ६ सासओ दंसण बाहिरा संजोग श्रावक प्रतिक्रमण - सूत्र अप्पा, ―――― भावा, संजुओ । मरणं ॥ लक्खणा ॥ कसाया, विसय निद्दा विकहा व पंचमी भणिया । पमाया, पंच पाडन्ति संसारे ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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