Book Title: Shravaka Pratikramana Sutra
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

Previous | Next

Page 170
________________ व्याख्या मन्त्र-साधना » १. ॐ ह्रीं अहं २. ॐ ह्रीं ३, अहम्, अहम्, अहम् ओम् ह्रां ह्रीं, हू, ह्रौ, ह्र:, अ सि आ उ सा सम्यग् दर्शन-ज्ञान, चारित्रेभ्यो नमः ॐ नमो सिद्धाणं ६. ॐ नमो साहूणं ॐ अर्हन्मुख कमल-वासिनि, . पापात्मक्षयंकरि श्रुत-ज्ञान-ज्वाला- . सहस्र ज्वलिते, सरस्वति ! मत्पापं हन, हन, दह, दह, क्षा, क्षी, क्ष, क्षौ, , क्षीर-धवले, अमृतसंभवे, व, वे, हुँ, है, स्वाहा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178