Book Title: Shravaka Pratikramana Sutra
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 171
________________ १६२ श्रावक प्रतिक्रमण-सूत्र शास्त्र-मन्त्र १. इह लोए, पर लोए, सुहाण-मूलं नवकारो। २. नमो जिणाणं, जिय - भयाणं । ३. नमो चउवीसाए तित्थगराणं, उसभादि महावीर पज्ज्वसाणाणं ध्वनि-जाप १. नारायण. नारायण, नारायण रे । वीरायण, वीरायण, वीरायण रे । २. देह-विनाशी, मैं अविनाशी । अजर - अमर पद मेरा रे। श्रमण भगवन्त श्रीमहावीर, त्रिशला नन्दन हर मेरी पीर । ४. भज महावीर, भज महावीर भज मन प्यारे, भज महावीर । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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