Book Title: Shravaka Pratikramana Sutra
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 162
________________ व्याख्या : प्रथम आवश्यक : नमोक्कार मन्त्र' सामायिकसूत्र का पाठसंख्या १, फिर 'करेमि भंते' सामायिकसूत्रगत पाठसंख्या ६, " इच्छामि पडिक्कमिडं" पाठ संख्या २. 'तस्स उत्तरी' पाठसंख्या ६, फिर काउस्सग्ग करे । 'काउस्सग्ग' में ६६ अतिचारों का पाठ संख्या ३ से लेकर २१ तक बोले, परन्तु मन में ही, उच्चारण करके नहीं । जहाँ 'मिच्छामि दुक्कड' पद आए, वहाँ पर आलोऊँ बोले । नमो 'अरिहंताणं' बोल कर का काउस्सग्ग पारे । फिर 'मान के विषय' पाठ संख्या ५० बोलकर दूसरे आवश्यक की आशा ग्रहण करे । द्वितीय आवश्यक : १२३ लोगस्स, पाठसंख्या ८ बोले उच्चारण करके । फिर तीसरे आवश्यक की आज्ञा ले । तृतीय आवश्यक : तीसरे आवश्यक में दो 'इच्छामि खमासमणो' पाठ संख्या २२ बोले । फिर चतुर्थ आवश्यक की आज्ञा ले । चतुर्थ आवश्यक : चतुर्थ आवश्यक में ६६ अतिचार पाठसंख्या ३ से लेकर २१ तक सभी पाठों को उच्चारण से पढ़े। फिर 'इच्छामि पडिक्कमिड' पाठसंख्या २ बोलकर श्रावकसूत्र पढ़ने की आज्ञा ले । श्रावकसूत्र पढ़ते समय दाहिना घुटना ऊँचा करके और बायां घुटना नीचा करके बैठना चाहिए। फिर इस प्रकार बोले प्रथम 'नमोक्कार मन्त्र, सामायिकसूत्र का पाठसंख्या १, 'करेमि भन्ते ! पाठसंख्या ६, 'चत्तारि मंगलं' पाठसंख्या २३, १. 'इच्छामि ठामि काउस्सग्गं इस तरह भी बोला जाता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only -- www.jainelibrary.org

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