Book Title: Shravaka Pratikramana Sutra
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra
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१२२.
श्रावक प्रतिक्रमण - सूत्र
नमोत्थु णं मम धम्मायरियस्स जाव संपाविउं
कामस्स ।
वन्दामि णं भगवंतं तत्थ-गयं, इहगए, पासउ मे भगवं ! तत्थ - गए, हइ-गयं ति कटूड वंदिता नमंसित्ता, एवं वइस्सामि ।
।
प्रतिज्ञा-सूत्र :
पुव्विं च गं मए पागाइवाए, पच्चक्खाए, जाव मिच्छादंसण-सल्लं पच्चक्खाए । इयाणिं पिणं अहं सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामि । सव्वं मुसावायं पच्चक्खामि । सव्वं अदिन्नादाणं पच्चक्खामि ! सव्वं मेहूणं पच्चक्खामि । सव्वं परिग्गहं पच्चक्खामि । सव्वं कोहं जाव मिच्छादंसण सल्लं अकर णिज्जं जोगं पच्चक्खामि |
जोवज्जीवाए, तिविहं तिविहेणं, न करेमि, न कारवेम करतं पि अन्न ं न समणुजाणामि | मणसा, वयसा, कायसा ।
सव्वं असण- पाण- खाइम - साइमं चउव्विहं पि आहारं पंच्चक्खामि ।
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