Book Title: Shravaka Pratikramana Sutra
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 150
________________ दश प्रत्याख्यान (१) नमस्कार-सहित-सूत्र : मूल : उग्गए सूरे नमोक्कार-सहियं पच्चक्खामि । चउव्विहं पि आहार-असणं, पाणं, खाइमं साइमं । अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, बोसिरामि । अर्थ : सूर्य उदय होने पर, [दो घड़ी दिन चढ़े नक] नमस्कार-सहित प्रत्याख्यान ग्रहण करता हूँ। अशन, पान, खाद्य और स्वाद्य-चारों प्रकार के आहारों का त्याग करता हूँ। इस प्रत्याख्यान में दो आगार (अपवाद) हैं -- अनाभोग = अत्यन्त विस्मृति, और सहसाकार= शीघ्रता । उक्त दो कारणों के सिवा चारों आहारों का त्याग करता हूँ। व्याख्या : नमस्कार-सहित का अर्थ है-सूर्योदय से लेकर दो घड़ी दिन चढ़े तक; अर्थात्-मुहूर्तभर के लिए, बिना नमस्कार-मन्त्र पढ़े आहार ग्रहण नहीं करना । इसका दूसरा नाम नमस्कारिका भी है । आजकल साधारण १. "नमस्कारेण - पंचपरमेष्ठिस्तवेन सहितं प्रत्याख्याति । 'सर्वे धातवः करोत्यर्थेन व्याप्ता' इति भाष्यकार-वचनात् नमस्कारसहितं प्रत्याख्यानं करोति ।" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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