Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 02
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 13
________________ (१७) प्रश्नः वाण व्यंतर देवों में इन्द्र कितने हैं ? . उत्तरः वत्तीस(दरेक जात में उत्तर के व दक्षिण के यों दो दो इन्द्र होते हैं ). (१८) प्रश्नः इन्द्र किसे कहते हैं और ये कल कितने हैं ! उत्तरः देवों के अधिपति को इन्द्र कहते हैं और वे कुल * ६४ हैं. प्रकरण १५वां--पाठकर्म। (१) प्रश्नः अपने प्रात्मा व सिद्ध भगवंत के आत्मा में क्या फर्क है ? उत्तरः अपने आत्मा आउ कर्म से आवरित है बंधी खाने में पड़ा हुवा है और सिद्ध भगवंत कर्म के बंधन से मुक्त हुये हुवे हैं। (२) प्रश्नः सिद्ध भगवंत को अनंत ज्ञान है और अपन को नहीं इसका क्या कारण है ? . उत्तरः सिद्ध भगवंत ने ज्ञानावरणीय कर्म का तय किया है व अपन ने उस कर्म का तय किया नहीं (आंख में जैसे देखने का गुण है उसी तरह सर्व आत्मा में अनंत ज्ञान गुण रहा हुवा है परंतु जैसे आंख के पाटा बंधा हुवा होवे तो दीखे नहीं ___ * ज्योतिषी में असंख्याता.इन्द्र हैं मगर यहां समुच्चय दो इन्द्र गिने गये हैं।

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