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(४०) (७) प्रश्नः उपर बतलाये हुये कुदेव को भोले लोग
परमेश्वर समझ कर मानते हैं उनको क्या
कुछ नुकसान होता है ? उत्तरः कुदेव को सुदेव समझकर पूजते हैं उनको नुक
सान तो होता ही है जैसे कोइ मूर्ख मनुष्य भैर को अमृत समझ कर उसका श्राहार कर ले तो क्या उसका प्राण का विनाश नहीं होगा ? इस कदर कुदेव को सुदेव समझ कर पूजन करने वाला अपना आत्मिक गुण का नाश करता है क्योंकि जिसको वह भजता है वैसा होनां वह चाहता है अब जो देव क्रूर होवे, हिंसक होवे, कपटी होवे, कामी होवे, लोभी होवे, अन्यायी होवे तो उसको भजने वाले में भी ये गुन क्यों न आवेनिश्चय आते हैं जैसा देव वैसा पुजारी इस वास्ते शाश्वत सुख के अभिलाषी जीवों को ऐसे
कुदेवों को नहीं मानना चाहिए । (८) प्रश्नः कुगुरु किसको कहते हैं ? ___ उत्तरः जो स्त्री पुत्र आदि परिग्रह में फंसे पड़े हैं,
जो गृहवास रूप जेल में पड़े हैं, जो पैसे के गुलाम हैं, जिन को भक्ष्याभक्ष्य का विचार नहीं है जो विषय लुब्ध हैं, जो सर्व वस्तु के अभिलाषी हैं, लालचु हैं, मिथ्या उपदेश
करने वाले हैं, वे सब कुगुरु कहलाते हैं. (६) प्रश्नः गुरू की चाहे जैसी वर्तन हो मगर अच्छा