Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 02
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 45
________________ (३) प्रश्नः कुदेवों को देव करके मानते हैं उनको क्या . कहना चाहिए? उत्तरः मिथ्याद्रष्टि याने असत्य मान्यता वाले। (४) प्रश्नः सुदेव किसको कहते है ? . उत्तरः जो राग द्वेप रहित हैं, क्षमा व दया के सागर हैं, पूर्ण ज्ञानी हैं, जिनके वचनों में पूर्वापर विरोध नहीं है याने पहेले कुछ कहा व पीछे और कुछ कहा ऐसा नहीं है, और जिनकी वानीमें प्राणी मात्र का एकांतहित है वोही सत्य परमेश्वर है, सुदेव हैं, देवों के भी देव हैं, तीन लोक के पूजनिक हैं, भवरूप.सागर से तारने वाले हैं व कर्मरूप भाव शत्रुओं के हणने वाले होने से अरिहंत हैं। (५) प्रश्नः सुदेव को देव माने उनको क्या कहना चाहिए ? .. उत्तरः उनको समकिती याने सत्य मान्यता वाले कहना चाहिए। . . . . . . (६) प्रश्नः देव चाहे जैसा हो मगर श्रद्धा से. भजने . . वाले को क्या समकिती नहीं कहना ! उत्तरः ना. जो काच, हीरा की परीक्षा कर सकता नहीं है.उसको जिस तरह से झोहरी नहीं कह सकते हैं इस कदर सुदेव कुदेव को . .. न:समझने, वाले,को.समकिती नहीं कह सकते।

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