Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 02
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 48
________________ (४२) निर्दोष आहार पाणी लाकर अपना गुजारा चलाते हैं, जिनमें समभाव है, जो सत्यध. र्मोपदेश करते हैं उनको सुगुरु कहते हैं व उनको मानने वाले समकिती कह लाते हैं ऐसे सद्गुरु खुद संसार समुद्र . तिर जाते हैं व दूसरे को भी तारते हैं। (११) प्रश्नः कुधर्म किसको कहते हैं ? । उत्तरः जो धर्म उपर बताये हुये कुदेवों या कुगुरुओ ने प्रवर्ताये हो, जिस धर्म के प्रवर्तक खुद हैं। अज्ञान होने से आत्मा, पुनर्जन्म, पुण्य, पाप, स्वर्ग, नर्क आदि का स्वरूप जानता न हो व इसी से ही इनका अस्तित्व का इनकार करना हो याने इन सब कुछ है नहीं ऐसा बतलाता हो जिसका वचनों सापेक्ष व सयुक्तिक न हो ( एकांत वादी हो) जिसका धर्म का सिद्धान्त परस्पर विरुद्ध हो, जो धर्म नीति व न्याय से विरुद्ध हो जिसमें पशुवधादि हिंसा का उपदेश हो, जिस धर्म में त्याग वैराग्य ब्रह्मचर्यादिक उत्तम तत्त्वों का अभाव हो, ऐसा धर्मको • कुधर्म कहते हैं व उसको मानने वाले को मिथ्यात्वी कहते हैं। (१२). प्रश्नः सुधमं किसको कहते हैं ? ... उत्तरः जो धर्म सर्वज्ञ का बतलायो हो, जिसमें सर्व प्राणी का हितोपदेश हो, जो नीति व

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