Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 02
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 61
________________ ( ५५ ) प्रकरण २४. उर्ध्वलोके वैमानिक देवों. ( १ ) प्रश्न: जीव के ५६३ भेद में देवता के कितने भेद हैं ? उत्तर : १६८ ( भवनपति के पचास, वारणव्यंतर के वाचन, ज्योतिषी के वीश व वैमानिक के छोतेर । (२) मनः वैमानिक के ७६ भेद किस तरह से ? उत्तरः निम्नलिखित वैमानिक की ३८ जाति हैं १२ देवलोक ३ किल्विपी लोकांतिक ६ ग्रीवेयक व ५ अनुत्तर विमान ये ३८ हैं जिनका पर्याप्ता व अपर्याप्ता मिलकर ७६ भेद हुवे । (३) प्रश्न: वार देवलोक के नाम कहो ? उत्तर: १ सुधर्म २ ईशान ३ सनत्कुमार ४ माहेन्द्र ५ ब्रह्मलोक ६ ांतक ७ महाशुक्र ८ सहसार ६ आपत १० प्रारणत ११ आरण व १२ अच्युत । तीन किल्विपी के नाम कहो ? उत्तरः १ त्रणपलिया २ त्रणसागरीया व ३ तेरसागरीया । ( ४ ) प्रश्नः ( ५ ) प्रश्न: नवलोकांतिक के नाम कहो ? उत्तरः १ सारस्वत, २ आदित्य ३ चिह्नि ४ वरुण ५ गर्दतया ६ तोपिया ७ श्रव्यावाधा द अगीचा & रिट्ठा.

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