Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 02
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 80
________________ ( ७४ ) समय मात्र में वे जीव सीधे उपर चढ़ लोक · के मस्तक पर सिद्ध क्षेत्र में पहुंच वहां स्थिर होते हैं। (१७) प्रश्नः इतने छोटे क्षेत्रमें अनंत सिद्ध कैसे समा उत्तरः जहां एक सिद्ध हो वहां अनन्त सिद्ध रह सक्के हैं. जैसे एक कमरा में एक दीपक का प्रकाश भी समा सके और सो दीपकों का प्रकाश भी समा सके इसी तरह आत्मा अरूपी व ज्ञान स्वरूपी द्रव्य होने से एक ही स्थान में अनंत सिद्ध रह सक्त हैं। (१८) प्रश्नः सिद्ध शिला और सिद्ध क्षेत्र एक ही है ? उत्तरः नहीं सिद्ध शिला सिद्ध क्षेत्र के बराबर नीचे है परन्तु उन दोनों के बीच एक • योजन में एक गर का छठा भाग कम जितना अंतर है। (१६) प्रश्नः ३३३ धनुष्य और ३२ अंगुल की सिद्ध क्षेत्र की मोटाई होने का क्या कारण है ? उत्तरः सिद्ध भगवान की उत्कृष्ठ अवगाहना उतनी , ही होने के कारण, (२०) प्रश्नः उनके शरीर नहीं तव अवगाहना कैसी ? __उत्तरः शरीर नहीं परन्तु आत्म प्रदेश का घन चरम शरीर का दो तिहाई भाग जितना • भाग बंधा हुवा है और ज्यादा से ज्यादा ५०० धनुष्य की अवगाहना वाले मनुष्य

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