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(७३) आ सके वैसी नहीं वे सुख अनुपमेय और अनुभवगोचर हैं. जैसे किसी ने जन्म से ही घी खाया नहीं उसको घी का स्वाद कैसा है केवल शब्द मात्र से ही समझ में नहीं आ सका, परन्तु जिसने स्वयं घी खा. या हो उसीको ही मालुम हो सकता है. इसी तरह सिद्ध के सुखोंका केवल शब्द से ज्ञान नहीं हो सका उनको तो केवली
ही जान सकते हैं. (१४) प्रश्नः सिद्धभगवान जिस क्षेत्रमें विराजमान हो
ते हैं वह क्षेत्र क्या कहलाता है ? उत्तर- सिद्ध क्षेत्र.. (१५) प्रश्नः सिद्धक्षेत्र कैसा है ? ... उत्तर- ४५ लाख योजन लम्बा चौड़ा (गोलाकार)
और एक गांवका छहा भाग ( ३३३ धनुष्य और. ३२ अंगुल ) जितनी उसकी
मोटाई है, (१६) प्रश्नः इतनेही क्षेत्र में सिद्ध होने का क्या कारण
उत्तरः मनुष्य क्षेत्र याने अढाई द्वीप ४५ लाख
योजन का है. मनुष्य गति में से सिद्धगति
होती है. अढाई द्वीप में कोई जगह ऐसी . नहीं जहां अनन्त सिद्ध न हुवे हो. जिस
जगह मक्ष गामी जीव शरीर से मुक्त होते हैं उनकी बरावर सीधी लकीर में एक