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(६८) 'सम्यग् दर्शन-वीतराग के वचन में
अंदा रखनी चाहिए. 'सम्यक् चारित्र-मोक्ष मार्ग में उपयाग
पूर्वक चलना चाहिए । आनव द्वार से आते हुए कर्मों को संवर रूप किवाड़ से रोकना चाहिए । मन, वचन, और काय के योग का निरोध करके प्राणातिपासादि अठारह प्रकार के पापों से निवृत्त होना
चाहिए। . ४ तप-पूर्व कर्मो को १२ प्रकार के तप
द्वारा तय करने चाहिए. (५) प्रश्नः चार गति में से कौनसी गति में आकर
जीय मोक्ष प्राप्त कर सकता है? उत्तरः मनुष्य गति में से. (६) प्रश्नः मोक्ष गामी जीव अर्थात चरम शरीरी मनु. . ष्य जब सर्व कर्म से मुक्त होता है तब कहां
जाता है? .. . , उत्तरः जैसे किसी तु को माटी, रेती आदि
वजन वाले पदार्थों के आठ लेप लगे होवे :.। तो उसके वजन से वह तुंबा हमेशा पानी
के भीतर डूबा हुआ रहता है मगर यदि . वह लेप उस पर से दूर हो जाये तो तुरंत ।, ही वह तुंरा पानी की सपाट उपर स्वा. . भाविक रीत्या आ जाता है वैसे ही आठ