Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 02
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 63
________________ (५७) बहा लांतक देवलोक है वह भी चंद्रमा जैसे गोल है. वहां से असंख्य जोजन उंचं सातमा लांतक देवलोक है वह भी पूर्ण गोल है. वहां से असंख्य जोजन उंच आठमा सहसार देवलोक है वह भी पूर्ण गोल है. वहां से असंख्यात जोजन उंचे नवमा आ. यात व दशमा प्राणत ये दो देवलोक साथ ही है दोनों मिलकर चंद्रमा जैसे गोल है दक्षिण तरफ नवमा व उत्तर तरफ दशमा है यहां से असंख्य जोजन उंचे ग्यारहवां पारण व बारहवां अच्युत देवलोक हैं दोनों मिलकर चंद्रमा जैसे गोल है दक्षिण तरफ ारण व उत्तर में अच्युत है. (११) प्रश्न प्रत्येक देवलोक कितने बडे हैं ? उत्तरः असंख्य जोजन की लंबाई चौडाइ है, (१२) प्रश्न: प्रत्येक देवलोक में विमान कितने हैं ? उत्तरः पहेले में ३२ लाख, दूसरे में २८ लाख, तीसरे में १२ लाख, चोथेमें ८ लाख, , पांचवें में ४ लाख, चट्ट, ५० हजार, सातवे में ४० हजार, आठवें में ६ हजार, नवमा दशमा में मिलकर ४००, और 'ग्यारहवां व वारंमा में मलिकर ३०० है. (१३) प्रश्नः वहां प्रत्येक विधानमें कितने देवों रहते हैं? उत्तरः प्रत्येक विमान में असंख्य देव रहते हैं.

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