Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 02
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 53
________________ (४७) पहला व अखीरी इस तरह से दो आंतरा खाली है व वीच में दश आंतरा में दश नाति के भुवनपति देवों अलग अलग २ रहते हैं. (५) प्रश्नः भुवनपति देवों व पहली नर्क के नारकी क्या साथ ही वसते हैं ? . उत्तर. नहीं भुवनपति देवों तो पाथड़ा की उपर के भाग में पोलार है जिसको भुवन कहते हैं उसमें रहते हैं व नारकी के जीवो पाथड़ा की मध्यमें पोलार है वहां रहते हैं ? (६) प्रश्नः प्रत्येक पाथड़ा की लंबाई चौड़ाई व मो. टाई कितनी होगी और उसका आकार कैसा होगा? उत्तर. लंबाई व चौड़ाई एक राज्य जितनी याने असंख्याता जोजनकी है व मोटीई तीन हजार जोजन की है और उसका आकार घट्ठी के पाट जैसा होता है. (७) प्रश्नः पाधड़ा की बीच में पोलार कितनी है ? उत्तर. एक हजार जोजन की.. (८) प्रश्नः भुवनपति देवों का दूसरा नाम क्या ? , । उत्तर भुवनवासी देवों. . (६) प्रश्नः किस वास्ते बे भुवनवासी देवों कहलाते हैं.१ , उत्तर. भुवन में रहते हैं इस वास्ते.. . (१०) प्रभः भुवनपति के भुवन कितने हैं. ?. । त्तर. सात क्रोड बहत्तर लाख. . .

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