Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 02
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 11
________________ जंभका, पुष्प जंभका, ७ फल जंभका, ८ वीज जंभका, ६ वीजुभका, १० अवि यत जंभका. . (८) प्रश्नः वाणव्यंतर व जंभका देवों कुल कितने हैं ? उत्तर; असंख्याता. (6) प्रश्नः वाणव्यंतर में देवा अधिक है या देवी ? उत्तरः देवी ज्यादे है. क्योंकि प्रत्येक देव को कम से कम चार चार देवी होनी ही चाहिये, (१०) प्रश्नः वाणव्यंतर देवों की श्रायुष्य कितनी होवे? उत्तरः उनको जघन्य यानि कम से कम दश हजार वर्ष की व उत्कृष्ट एक पल्योएम की आयुष्य होती है. (११) प्रश्नः वाणव्यंतर की देवी की आयुष्य कितनी होवे? उत्तरः जघन्य १० हजार वर्ष की और उत्कृष्टी अंध पल्योपम की. (१२) प्रश्नः वाणयंतर देवों मर कर कौनधी गतिमें उत्पन्न होते हैं ? उत्तर; दो गति में. ( मनुष्य में व तिर्यंच में) (१३) प्रश्नः वाणव्यंतर के नगर अपने नीचे पालान में हैं तो वहां सूर्य का प्रकाश कैसे पहुंचता होगा ? वहां घोर अंधकार रहता होगा क्या ?

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